एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अधिकरण ने सभी पक्षों को सुना था और प्रतिवादियों को अपनी दलील के पक्ष में बातें रखने के लिए पूरा मौका दिया गया था। अधिकरण ने कहा, अधिकरण ने अपने समक्ष पेश किए गए रिकॉर्ड के आधार पर कदम उठाया था और इस आदेश में कोई प्रत्यक्ष त्रुटि दिखाई नहीं देती।
यह आदेश अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ओर से दायर याचिका पर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि एनजीटी के पहले के आदेश की समीक्षा होनी चाहिए। एनजीटी ने बीते 14 दिसंबर को अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि उसने दक्षिण कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा के अंदर मंत्रोच्चार और भजन पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।
इस निर्णय के बाद हुए प्रदर्शनों को देखते हुए एनजीटी ने कहा कि उसने पूरे इलाके को न तो ध्वनि निषेध क्षेत्र (साइलेंट ज़ोन) घोषित किया है न ही उसकी ऐसी कोई मंशा है। उसने कहा कि केवल इतना प्रतिबंध लगाया था कि किसी भी श्रद्धालु या किसी भी व्यक्ति को अमरनाथ महाशिवलिंग के समक्ष खड़े होने के दौरान शांति बनाए रखनी चाहिए। एनजीटी ने कहा था कि पवित्र गुफा की तरफ जाने वाली मुख्य सीढ़ियों सहित किसी भी अन्य हिस्से में प्रतिबंध लागू नहीं है। (भाषा)