Amaranth Yatra: हिमलिंग पिघलने के बाद ढलान पर अमरनाथ यात्रा, कम होने लगे श्रद्धालु

सुरेश एस डुग्गर

शनिवार, 29 जुलाई 2023 (15:22 IST)
Amaranth Yatra: एक महीने के कम समय में ही अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) में शिरकत करने वालों का आंकड़ा जबर्दस्त ढलान पर है। इसका सबसे बड़ा कारण अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघल जाने का है। आज शनिवार को 2,000 श्रद्धालुओं (pilgrims) को जम्मू से रवाना किया गया जबकि कल शुक्रवार को भी इतने ही इसमें शामिल हुए थे।
 
हालांकि कल 7 हजार के लगभग श्रद्धालुओं ने गुफा के दर्शन किए थे। उनमें निराशा थी, क्योंकि इतनी लंबी यात्रा करने के उपरांत उन्हें हिमलिंग के दर्शन नहीं हो पाए, क्योंकि वे कई दिन पहले ही अंतर्ध्यान हो चुके हैं। 
30 जून को आरंभ होने वाली यात्रा में पहले प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु शिरकत कर रहे थे जिससे लगने लगा था कि इस बार आंकड़ा कोई नया रिकॉर्ड बनाएगा।
 
पौने 4 लाख के करीब श्रद्धालु शामिल हुए: पर 4 दिन पहले अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघल जाने के कारण अब यात्रा ढलान पर है। अभी तक पौने 4 लाख के करीब श्रद्धालु इसमें शामिल हो चुके हैं और 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन इस यात्रा का समापन होना है। श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार आती गिरावट को देखते हुए अब यह कहना मुश्किल हो रहा है कि यह यात्रा इस बार कोई नया इतिहास रच पाएगी।
 
यह बात अलग है कि यह पिछले साल के रिकॉर्ड को तोड़ चुकी है। यह बात अलग है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस बार 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के यात्रा में शामिल होने की उम्मीद लगाते हुए आस प्रकट की थी कि इन श्रद्धालुओं के कारण-कश्मीर में इस बार 3 से 4 हजार करोड़ का बिजनेस होगा जिससे कश्मीरी कोरोना व मंदी के कारण हुए घाटे से उबर जाएंगे। 
 
फेंसिंग और लोहे की ग्रिल भी नहीं रोक पाई हिमलिंग को पिघलने से : अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के सारे अनुमान धरे के धरे रह गए हैं। जिस लोहे व शीशे की ग्रिल का सहारा हिमलिंग को बचाने के लिए लिया गया था, वह भी उसे पिघलने से इसलिए नहीं बचा पाई, क्योंकि इस बार 18 फुट का हिमलिंग पिघलकर अब अंतर्ध्यान हो चुका है। ऐसा भक्तों की सांसों की गर्मी के साथ-साथ ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण भी हुआ है। अब इससे निपटने का तरीका अत्याधुनिक तकनीक का ही सहारा है।
 
श्राइन बोर्ड तकनीक का सहारा क्यों नहीं ले रहा?: पर श्राइन बोर्ड फिलहाल तकनीक का सहारा क्यों नहीं ले पा रहा है, इसके पीछे के कारण स्पष्ट नहीं हैं। श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के बकौल, अमरनाथ की गुफा को तकनीक के सहारे ठंडा और वातानुकूलित बनाने की योजना श्राइन बोर्ड ने उसी समय तैयार की थी, जब वह अस्तित्व में आया था। लेकिन यह मामला कई सालों तक कोर्ट में रहा जिस कारण श्राइन बोर्ड इस संबंध में कोई कदम उठाने से परहेज कर रहा है।
 
वे कहते हैं कि गुफा को पूरी तरह से वातानुकूलित करने, आइस स्केटिंग रिंक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना है। इसी के तहत कई अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया गया था जिनमें एयर कर्टन, रेडियंट्स कूलिंग पैनल्स और फ्रोजन ब्राइन टेक का इस्तेमाल भी था।
 
उनका कहना था कि इनमें से कई तकनीकों का सफल प्रयोग मुंबई, श्रीनगर तथा गुलमर्ग में कर लिया गया था लेकिन अमरनाथ गुफा में इनका प्रयोग करने से पूर्व ही माननीय कोर्ट ने इन सब पर रोक उस समय कुछ साल पहले लगा दी थी, जब गुफा में कथित तौर पर कृत्रिम हिमलिंग बनाने का मामला उठा था।
 
हालांकि वे कहते थे कि श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को रेडियंट कूलिंग पेनल्स का विकल्प बहुत ही जायज लगा था लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दिए जाने के कारण मामला अंतिम चरण में जाकर रुक गया था। 
विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंका होगी। इससे ग्लेशियर जल्दी पिघलेंगे। साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के अमरनाथ पहुंचने से हिमलिंग तेजी से पिघल गया था।
 
आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फीट के रह गए थे। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे। साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था, जो अमरनाथ यात्रा के शुरुआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे। साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट के थे। लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गए थे।
 
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था। 2018 में भी बाबा बर्फानी के तेजी से पिघलने का सिलसिला जारी था। इस बार 30 जून से शुरू हुई 66 दिवसीय इस यात्रा में 1 महीने बीतने पर करीब पौने 4 लाख यात्रियों ने दर्शन किए हैं। 24 दिनों के बाद ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन नहीं हुए, क्योंकि बाबा दर्शन देने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गए हैं।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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