अमेठी से गुजरात का जवाब दे रही है भाजपा, जानिए क्यों...

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017 (12:24 IST)
लखनऊ। राहुल गांधी को कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाने को लेकर पार्टी के अंदर तेज होते स्वरों के बीच भाजपा, नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी में राहुल की चूलें हिलाकर इस पार्टी के मनोबल को गहरी चोट देने की कोशिश में है। गुजरात में भगवा शासन को ललकार रहे राहुल की अमेठी को लेकर भाजपा की आक्रामकता कुछ यही इशारा करती है।
 
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक, राहुल गुजरात जाकर सत्ताधारी दल पर जो प्रहार कर रहे हैं, भाजपा अमेठी में उसकी जवाबी चोट दे रही है।
 
पिछली 10 अक्टूबर को अमेठी में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गत लोकसभा चुनाव में इसी क्षेत्र से राहुल को कड़ी टक्कर देने वाली केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का कार्यक्रम इसी मकसद से हुआ, ताकि राहुल को गुजरात का जवाब अमेठी से दिया जाए।
 
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के वक्फ राज्यमंत्री और अमेठी के प्रभारी मंत्री मोहसिन रजा ने बताया कि अमेठी तो कांग्रेस के लिए परंपरागत सीट है। दादी से लेकर पापा और पापा से लेकर बेटा तक इस सीट से संसद पहुंचे हैं। इस बार अमेठी लोकसभा क्षेत्र की जनता पूरी तरह भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही है। आने वाले समय में हम अमेठी में और अधिक सक्रियता दिखाएंगे।
 
रजा ने कहा कि प्रभारी मंत्री के रूप में उन्होंने अमेठी की दुर्दशा देखी है। कोई चुनाव ना होने के बावजूद इतनी बड़ी भीड़ का अमित शाह को सुनने के लिए पहुंचना, यह जाहिर करता है कि राहुल गांधी को अमेठी की अवाम ने ‘खुदा हाफिज’ कह दिया है। शायद इसीलिए ऐसे संकेत हैं कि राहुल चुनाव लड़ने के लिए कर्नाटक में कोई सीट तलाश रहे हैं।
 
जानकारों का मानना है कि अमेठी को बदहाल साबित करने की कोशिश करके भाजपा कांग्रेस को ऐसी चोट देने की कोशिश कर रही है, जिसका बहुत व्यापक संदेश जाए।
 
यह सीधे तौर पर उन राहुल को निरुत्तर करने के लिए किया जा रहा है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गढ़ में विकास के मुद्दे पर उनकी सरकार को घेर रहे हैं। भाजपा सोचती है कि वर्ष 2019 में अमेठी में राहुल के मुकाबले उसकी जीत कांग्रेस का जितना मनोबल तोड़ेगी, वह कोई और जीत नहीं तोड़ सकती।

रजा की बात पर अगर यकीन करें तो यदि राहुल अमेठी को छोड़कर कहीं और से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो निश्चित रूप से इसका अच्छा संदेश नहीं जाएगा। यह इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि राहुल को अब पार्टी अध्यक्ष बनाने की कवायद तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कल राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाने सम्बन्धी आग्रह का प्रस्ताव भी पारित किया है। 
 
राहुल जहां गुजरात में विकास के मुद्दे पर भाजपा को घेर रहे हैं, वहीं शाह अमेठी की जनता की तरफ से राहुल से पिछली तीन पीढ़ियों का हिसाब मांग रहे हैं। भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसके विकास पर तंज करने वाले राहुल और उनके परिवार ने आखिर अपने गढ़ अमेठी को तरक्की के नाम पर क्या दिया है।
 
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अमेठी निश्चित रूप से भाजपा के लिए बड़ा मंसूबा है और वह पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल को चौंकाने वाली स्थितियों को पैदा करने के बाद अब उन्हें सर-ए-अंजाम पर पहुंचाना चाहती है। हार के बावजूद स्मृति ईरानी की अमेठी में लगातार सक्रियता और भाजपा अध्यक्ष का यह कहना, कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इन बिंदुओं पर चुनाव नहीं लड़ेगी कि वह यहां कौन-कौन से विकास कार्य करेगी, बल्कि इस बुनियाद पर लड़ेगी कि उसने यहां अब तक क्या-क्या विकास कार्य कर डाले हैं।
 
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति को बहुत कम समय रहते अमेठी से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि वह हार गईं लेकिन राहुल के जीत के अंतर में वर्ष 2009 के मुकाबले दो लाख से ज्यादा मतों की गिरावट ने भाजपा को नेहरू-गांधी परिवार के गढ़ में सेंध लगाने की उम्मीद जरूर दे दी।
 
स्मृति चुनाव जरूर हार गईं लेकिन उन्होंने अमेठी की जनता से वादा किया था कि वह उससे अपना नाता नहीं तोड़ेंगी। पिछले साढ़े तीन साल के दौरान स्मृति ने अमेठी के लगातार दौरे किए और केन्द्र की अनेक योजनाओं को पहुंचाकर अपनी जमीन तैयार करती रहीं। वर्ष 2019 में अमेठी से चुनाव लड़ने पर उनकी उम्मीदवारी पांच साल पुरानी होगी। (भाषा) 

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