उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार उत्पादन की लागत की गणना के लिए स्वामीनाथन के फॉर्मूले को पूरा नहीं कर सकती, क्योंकि इसमें भूमि की लागत भी शामिल है, जो ज्यादातर किसानों को विरासत में मिलती है और जिसकी कीमत पिछले वर्षों में कई गुना बढ़ चुकी है। भाजपा ने कई अन्य वादों के अलावा उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक का एमएसपी निर्धारित करने का वादा कर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी सफलता प्राप्त की थी।
उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की कुल उत्पादन लागत में भूमि के मूल्य को नहीं गिना जा सकता, क्योंकि अधिकांश मामलों में किसानों ने यह कृषि भूमि अपने पूर्वजों से विरासत में प्राप्त की होती है और उस भूमि की कीमत अब करोड़ों में है। उन्होंने कहा कि अगर इस पहलू को छोड़ दिया जाए तो हम 43 प्रतिशत देने की स्थिति में पहुंचे हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि कृषि फसलों के उत्पादन की कुल लागत में भूमि की लागत लगभग 25 से 30 प्रतिशत होती है। अगर भूमि की लागत को बाहर रखा जाए तो मौजूदा समय में अधिकांश फसलों के उत्पादन की लागत के मुकाबले एमएसपी 50 प्रतिशत से कहीं अधिक है। स्वामीनाथन की सिफारिशें आर्थिक तर्कों पर आधारित नहीं हैं। (भाषा)