सोनी यादव की मां, बाबूजी, पत्नी, मौसी और चाची ने अपनी पसंद के खाने बनाए थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बड़े चाव से रायता खाया और इसकी खूब तारीफ की। अमित शाह के जाते ही गदगद सोनू बोले, 'मेरा तो जीवन धन्य हो गया।' लेकिन मीडिया जगत ने रायता खाने की बात को उत्तर प्रदेश में सियासत की प्लेट में रायता फैलाने से जोड़ दिया है।
देश भर में 110 दिनों की यात्रा पर निकले अमित शाह कई दलितों के घर में भोजन करते रहें है लेकिन अब किसी यादव के घर में भोजन करके उन्होंने यादवों को पार्टी से जोड़ने का अभियान छेड़ रखा है। मुलायम परिवार के झगड़े और सत्ता से बाहर होने से यूपी का यादव समाज हताश और निराश है। ऐसे में जातिवाद से उठकर यादव अब उत्तर प्रदेश के हित में 2019 में भाजपा की जीत तय करेंगे?
अमित शाह के मिशन यादव सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सिमित नहीं है। बिहार में लालू यादव की साख अब नहीं रही। उन्होंने बहुत यादवों के वोट को भुना लिया। अब अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव के लिए यादव और मुसलमान को साथ रखना आसान नहीं होगा। पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में कई सांप्रदायिक झगड़े इन्हीं दोनों समुदाय के बीच हुए।
हालांकि अब देखना होगा कि अमित शाह अपने इस मिशन यादव में कितने सफल होते हैं। हालांकि उन्होंने पार्टी नेताओं को अगले तीन महीने के लिए यह टास्क दिया है कि पहला यह कि यादव जाति के वोटरों को जोड़ें, दूसरा नेता अपने अपने इलाकों में यादव समाज के खास लोगों की लिस्ट बनाएं और तीसरा यह कि यादवों से लाइव संवाद बनाए रखें और उन्हें पार्टी और सरकार के ओर से किए काम समझाएं।