77 साल के Amitabh Bachchan की फिटनेस का ट्रेनर ने खोला राज, करते हैं 14 से 16 घंटे काम

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 29 दिसंबर 2019 (23:54 IST)
मुंबई-नई दिल्ली। बीते 50 सालों से मायानगरी में अपनी अदाकारी के जौहर दिखाने वाले 77 साल के अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) रविवार को फिर से सुर्खियों में इसलिए आए क्योंकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें एक विशेष समारोह में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (Dada Saheb Phalke Award) से सम्मानित किया। इस मौके पर उनकी फिटनेस भी चर्चा में रही, जिसका राज उनकी निजी फिटनेस ट्रेनर वृंदा मेहता ने खोला।
 
कभी मिस नहीं करते वर्कआउट : ट्रेनर वृंदा के अनुसार अमिताभ सुबह जल्दी उठ जाते हैं। ज्यादातर 6 बजे एक्सरसाइज शुरू कर देते हैं। कोई फिल्म का शेड्यूल है तो कभी 7 बजे तो कभी 8 बजे वर्कआउट करते हैं। कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब वे व्यायाम नहीं करें। वे फिटनेस के मामले में युवाओं को भी मात दे रहे हैं। उन्हें 'फिटनेस का शहंशाह' कहा जाना चाहिए।
सेहत का रखते हैं बहुत खयाल : अमिताभ बच्चन घर का सादा भोजन करते हैं। उनकी डाइट बहुत बैलेंस होती है। वे मिठाई और चावल नहीं खाते। कोल्ड ड्रिंक्स नहीं लेते और न ही चाय-कॉफी। पीने में पानी या फिर नींबू पानी ही लेते हैं। कुछ साल पहले से वे पूरी तरह शाकाहारी हो गए हैं। स्वयं अमिताभ और पूरा बच्चन परिवार रोजाना एक चम्मच शहद लेता है।

14 से 16 घंटे करते हैं काम : आज जहां युवा 7-8 घंटे के काम में थक जाते हैं, वहीं दूसरी ओर अमिताभ बच्चन 77 वर्ष की उम्र में भी 14 से 16 घंटे काम करते हैं। खुद अमिताभ ने कहा कि मैं जवानी के दिनों में कभी जिम नहीं गया लेकिन 65 साल के बाद से रोजाना जिम में पसीना बहाता हूं। मैं योग के दूसरे कठिन आसन तो नहीं कर पाता लेकिन प्राणायाम नियमित करता हूं। इससे मुझे ऊर्जा मिलती है।

हर झटके के बाद वे मजबूती से खड़े हुए : अमिताभ की विशेषता रही कि बुरे वक्त में उन्होंने हौसला नहीं खोया और हर झटके के बाद वे मजबूती से खड़े हुए। 1982 में फिल्म 'कुली' के शॉट में उनका काफी खून बहा। वे मांसपेशियों की बिमारी के बाद डिप्रेशन में चले गए थे फिर भी हिम्मत नहीं हारी। 2005 में उनकी आंत का ऑपरेशन हुआ। अस्थमा से ग्रसित अमिताभ सिर्फ 25 फीसदी लिवर के काम करते के बाद भी जोश से भरे हैं।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद प्रतिक्रिया : अमिताभ ने  दादा साहेब फाल्के पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा 'भगवान मेरे प्रति दयालु रहे हैं, मेरे माता-पिता का आशीर्वाद मेरे साथ है, उद्योग के फिल्मकारों, निर्माताओं और सह कलाकारों का सहयोग मेरे साथ रहा है। मैं भारतीय दर्शकों के प्रेम और उनसे लगातार मिलने वाले प्रोत्साहन के लिए कृतज्ञ हूं। उनकी वजह से मैं यहां खड़ा हूं। मैं अत्यंत विनम्रता एवं कृतज्ञता के साथ यह पुरस्कार स्वीकार करता हूं।’
 
1969 में ‘सात हिंदुस्तानी’ फिल्म से सफर शुरू : प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर 1942 में जन्मे अमिताभ का एक अभिनेता के रूप में फिल्मी सफर 1969 में प्रदर्शित फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' से शुरू हुआ। हालांकि, इस फिल्म को बॉक्स आफिस पर सफलता नहीं मिल पाई थी।
 
जंजीर से चखा सफलता का स्वाद : अमिताभ को फिल्मी दुनिया में अपने पैर जमाने में काफी संघर्ष करना पड़ा। एक के बाद एक उनकी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई लेकिन 1973 में प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' से उन्होंने न केवल सफलता का स्वाद चखा बल्कि उनकी छवि 'एंग्री यंग मैन' के रूप में स्थापित हुई।
अमिताभ की यादगार फिल्में : अमिताभ ने ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘लावारिस’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘त्रिशूल’, ‘शक्ति’ और ‘काला पत्थर’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी के जरिए अपनी अलग छाप छोड़ी। उन्होंनेने ‘अभिमान’, ‘मिली’, ‘कभी-कभी’ और ‘सिलसिला’ जैसी फिल्मों में संवेदनशील भूमिकाएं अदा कीं। उन्होंने ‘नमक हलाल’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘चुपके चुपके’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी फिल्मों के जरिये कॉमेडी में भी हाथ आजमाए।
 
'अग्निपथ' ने दिलाया पुरस्कार : अमिताभ ने 1990 में मुकुल एस आनंद की फिल्म ‘अग्निपथ’ में गैंगस्टर विजय दीनानाथ चौहान का किरदार निभाया, जो आज भी याद किया जाता है। इस किरदार के कारण उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। यही नहीं, उन्हें 1984 में पद्मश्री, 2001 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से भी नवाजा जा चुका है।
 
चरित्र भूमिका में आने लगे अमिताभ : 2000 के दशक से अमिताभ ने चरित्र अभिनेता की भूमिका निभाते दिखाई दिए। 2001 में आदित्य चोपड़ा निर्देशित फिल्म ‘मोहब्बतें’ में उन्होंने ऐश्वर्या राय के पिता की भूमिका निभाई।
'कौन बनेगा करोड़पति' से छोटे परदे पर प्रवेश : 2000 से शुरू हुए 'कौन बनेगा करोड़पति' के जरिए अमिताभ की एंट्री टीवी के छोटे परदे पर हुई और तभी से यह कार्यक्रम आज तक दर्शकों की पहली पसंद बना हुआ है। इस शो के जरिए वे मुश्किलों से लड़ने का हौसला देने के साथ ही कुछ करने की प्रेरणा भी देते हैं। 
 
टीवी और फिल्में साथ-साथ : 2000 टीवी के साथ ही साथ वे फिल्मों भी काम करते रहे। उन्होंने उन्होंने ‘आंखें’, ‘बागबान’, ‘खाकी’, ‘सरकार’, ‘ब्लैक’, ‘पा’, ‘पीकू’ और ‘पिंक’ जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय के जौहर दिखाए। अभी भी 77 साल की उम्र में वे फिल्में कर रहे हैं। उनके पास खान बंधुओं से ज्यादा फिल्में हैं और छोटे परदे पर विज्ञापन की दुनिया के भी वे 'शहंशाह' हैं।

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