मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह शनिवार को अमृतसर पहुंचे। घटनास्थल पर मुख्यमंत्री को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने मुख्यमंत्री के विरोध में नारे लगाए। मुख्यमंत्री हादसे के एक दिन बाद घटनास्थल पर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें एयरपोर्ट पर इसकी सूचना मिली। मुख्यमंत्री ने अपना इसराइल दौरा रद्द कर दिया।
मुख्यमंत्री ने सरकार की तरफ से मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपए और घायलों के लिए मुफ्त इलाज की बात कही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। घटना की जांच के लिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं, जो चार हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादातर शवों की पहचान हो गई है।
पीड़ितों का आरोप सरकार की तरफ से कोई इंतजाम नहीं : पीड़ित परिवारों ने बताया कि संस्कार के लिए जरूरी लकड़ियों तथा अन्य सामान का सरकार की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किया गया है। लोगों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने अन्य जिलों से पुलिस बल मंगवा कर अस्पतालों तथा शमशान घाट पर तैनात कर दिया है। घटना स्थल पर लोग आज भी अपने परिजनों के गायब होने की शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि शव न तो अस्पताल में हैं और न ही उनके संबंध में काई जानकारी दी जा रही है। जीआरपी पुलिस ने दुर्घटना के संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 304 ए, 337 और 338 के तहत मामला दर्ज किया है।
20 साल से हो रहा है आयोजन : दशहरे के मौके पर रावण दहन देखने के लिए 20 से अधिक वर्षों से लोग आसपास के गांवों रेलवे पटरियों से महज 50 मीटर दूर जोड़ा फाटक पर खाली पड़े मैदान में एकत्रित होते रहे हैं। 55 वर्षीय जसवंत ने कहा कि इस प्लॉट में रावण का पुतला जलाया जाता है जबकि रामलीला रेलवे पटरियों से थोड़ी दूरी पर आयोजित की जाती है। जसवंत ने दावा किया कि आतिशबाजी के शोर के कारण लोगों को जालंधर से आती ट्रेन के हॉर्न की आवाज सुनाई नहीं दी। उन्होंने दावा किया कि इस ट्रेन के जालंधर से अमृतसर जाने से पहले भी दो ट्रेनें पटरियों से गुजरी लेकिन उन्होंने अपनी गति धीमी कर ली थी।
जोड़ा फाटक के नजदीक रहने वाले कुछ लोगों ने बताया कि दुर्घटना के समय वे घर की छत पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे कि एक तेज रफ्तार गाड़ी लोगों को रौंदते हुए निकल गई। उन्होंने बताया कि दुर्घटना स्थल के नजदीक से तीन रेलवे ट्रैक गुजरते हैं और रावण दहन के दिन सभी ट्रैक लोगों से भरे रहते हैं। इस दौरान वहां से गुजरने वाली गाड़ियों की रफ्तार काफी कम रहती है और रेलगाड़ी आने पर लोग पीछे हट जाते हैं लेकिन शुक्रवार रात रेलगाड़ी बिना कोई हॉर्न बजाए तेजी से गुजर गई।