अमृतसर में दशहरे के दिन हुए ट्रेन हादसे में जहां दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवा दी, वहीं कई लोग ऐसे थे जिनका मौत से सीधा सामना हुआ, लेकिन जान बच गई। उनमें से ही एक हैं मीरा देवी, जो खुद भी बाल-बाल बचीं साथ ही जिनके प्रयासों से एक मासूम की जिंदगी बच गई। आइए जानते हैं, मीरा देवी की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी...
आम लोगों की तरह जोड़ा फाटक के पास आयोजित रावण दहन के लिए आयोजित दशहरा मेले में मीरा देवी भी मौजूद थीं। अपने 10 माह के बच्चे को गोद में लिए साथ एक अन्य व्यक्ति भी उनके पास ही खड़ा था। सब लोग रावण दहन देखने में मग्न थे, निगाहें भी सबकी रावण की तरफ ही थीं। किसी को भी अंदेशा नहीं था कि मौत उनकी तरफ तेजी से बढ़ रही है।
अचानक धड़धड़ाती हुई 'मौत की रेल आई' और लोगों को कुचलते हुए निकल गई। जिस समय ट्रेन गुजर रही थी, उसी समय पास खड़ा व्यक्ति और बच्चा पीछे की तरफ गिरे। इससे पहले कि बच्चा गिर पाता, फुर्ती दिखाते हुए मीरा देवी ने उसे गिरने से पहले ही लपक लिया।
बच्चे की जान तो बच गई, लेकिन मुश्किल यह भी थी कि अब उसके परिजनों को कहां ढूंढें। फिर शुरू हुई उसके मां-बाप की तलाश। उन्होंने बताया कि मैं बच्चे के परिजनों की तलाश में आधी रात तक भटकती रही, लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली। मजबूरन मुझे पुलिस में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराना पड़ी। अगले दिन मैं पुलिस के सात सिविल अस्पताल गई, जहां बच्चे के मां-बाप तो नहीं मिले, लेकिन एक महिला जज ने बच्चे को अपने संरक्षण में ले लिया।