Delhi air pollution : दिवाली से पहले दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभर नजर आ रही है। राष्ट्रीय राजधानी में रविवार सुबह AQI 400 के पार पहुंच गया। यमुना नदी की सतह पर जहरीली झाग की परत दिखाई दे रही है। दिल्ली में ग्रेप 2 की पाबंदियां लागू हैं। यहां सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपाय नाकाफी नजर आ रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार आनंद विहार के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक 405 दर्ज किया गया। ITO, बवाना, रोहिणी, अक्षरधाम और आसपास के इलाकों में हवा की स्थिति बहुत गंभीर बनी हुई है।
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बेहद खराब तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को गंभीर श्रेणी में माना जाता है।
राज्यों को केंद्र सरकार के निर्देश : राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाने की कोशिशों के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों से पराली प्रबंधन की मौजूदा सूक्ष्म-स्तरीय कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने का आग्रह किया।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई उच्च स्तरीय बैठक में राज्यों से उन 3,00,000 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों को इस्तेमाल के लिहाज से अधिक अनुकूल बनाने के लिए कहा गया, जिन्हें सरकारी सब्सिडी पर किसानों को वितरित किया गया था।
पराली जलाने की घटनाओं में कमी : आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले 35 फीसदी और हरियाणा में 21 फीसदी की कमी आई है। वहीं, 2017 से तुलना करें तो पराली जलाने के कुल मामलों में 51 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर भारत में सर्दियों में पराली जलाने की घटनाओं से दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। अधिकारियों ने आगाह किया है कि कृषि अपशिष्ट जलाने से हवा की गुणवत्ता खराब होने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचता है और पर्यावरण के लिए फायदेमंद माने जाने वाले कीट भी नष्ट होते हैं।