नई दिल्ली। नोटबंदी के जरिए कालेधन पर लगाम कसने को लेकर व्यक्त किए जा रहे संदेहों को दरकिनार करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि बैंकों में सिर्फ रुपया जमा कराने से कालेधन का रंग नहीं बदल जाता बल्कि इससे उसकी पहचान अब आसान हो गई है। इसके आधार पर कालाधन रखने वालों को चिह्नित किया जा सकता है।
उन्होंने लिखा है कि 2 महीने बीत गए, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। जब 86 प्रतिशत भारतीय मुद्रा, जो सकल घरेलू उत्पाद का 12.2 प्रतिशत हिस्सा है, प्रचलन से हटा दी जाती है और उसकी जगह नई करेंसी लाई जाती है तो ऐसे फैसले के महत्वपूर्ण परिणाम होंगे ही। अब जब बैंकों के बाहर लगी कतारें खत्म हो गई हैं और नोटबंदी की मुश्किलें हल हो गई हैं तो ऐसे में इस निर्णय और इसके परिणाम का विश्लेषण अर्थपूर्ण है।
उन्होंने कालेधन के मुद्दे पर कहा कि मोदी सरकार ने पहले ही दिन यह स्पष्ट कर दिया था कि वह 'शैडो इकोनॉमी' और कालेधन के खिलाफ कदम उठाएगी। मोदी सरकार का पहला निर्णय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार विशेष जांच दल गठित करने का था। केंद्र सरकार ने स्विट्जरलैंड से समझौता किया है कि दोनों देश अपने-अपने यहां परिसंपत्ति रखने वाले नागरिकों की जानकारी आपस में साझा करेंगे। यह समझौता 2019 से लागू होगा।
इसी तरह मॉरीशस, साइप्रस और सिंगापुर के साथ पूर्व में हुए समझौतों पर दोबारा चर्चा करके उनमें बदलाव किया गया। भारत के बाहर अवैध परिसंपत्ति के रूप में कालाधन रखने वालों को उसकी घोषणा के लिए समय दिया गया जिसके तहत उक्त धन पर 60 फीसदी कर और 10 साल की सजा का प्रावधान है।
बेनामी कानून, जिसे कभी सही से लागू नहीं किया गया, उसे संशोधित किया गया और लागू किया गया। इस साल में लागू होने वाला वस्तु एवं सेवाकर कानून (जीएसटी) करचोरी पर शिकंजा कसने में अधिक कारगर साबित होगा। नोटंबदी इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम थी। (वार्ता)