नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पार्थिव देह शुक्रवार शाम राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रीय स्मृति स्थल पंचतत्व में विलीन हो गई। उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। दाह-संस्कार के बाद परिजनों ने बताया कि उनकी अस्थियां 19 अगस्त को देश की प्रमुख नदियों में विसर्सित की जाएंगी।
परिजनों के मुताबिक हरिद्वार में कुछ अस्थियां विसर्जित करने के बाद इन्हें यमुना, चंबल वघाघरा नदी में भी प्रवाहित किया जाएगा। उत्तरप्रदेश सरकार ने भी कहा कि अटलजी को उत्तरप्रदेश से गहरा लगाव था, लिहाजा वहां पर भी उनकी अस्थियों का विसर्जन होगा।
जानिए कौन हैं नमिता कौल भट्टाचार्य? : अटलजी ने विवाह नहीं किया था और नमिता कौल भट्टाचार्य को अपनी दत्तक पुत्री बनाया था। नमिता ने ही अपनी बेटी निहारिका के साथ अटलजी को मुखाग्नि दी। जब अटलजी ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) में पढ़ते थे, तब राजकुमारी कौल उनकी सहपाठिन हुआ करती थीं। राजकुमारी की ही बेटी हैं नमिता।
अश्रुपूरित नेत्रों के साथ महान नेता को अंतिम विदाई : हिन्दुस्तानी सियासत के अमिट हस्ताक्षर एवं कालजयी स्तंभ अटलजी को कृतज्ञ राष्ट्र ने अश्रुपूरित नेत्रों के साथ अंतिम विदाई दी। पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी की अंतिम यात्रा में आज शुक्रवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। वाजपेयी की अंतिम यात्रा में भाजपा मुख्यालय से उनके पार्थिव शरीर को लेकर जा रहे वाहन के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 किलोमीटर तक पैदल चले।