डेरे में मखमली बिस्तरों पर सोने वाले डेरा प्रमुख को जेल में दरी चद्दर पर सोना रास नहीं आ रहा है। रातें करवट बदलते निकल रही हैं। कभी अपने सेवकों और समर्थकों से घिरे रहने वाले और सुखद जीवन जीने वाले डेरा प्रमुख अब जेल के माहौल से बेहद परेशान हैं। जेल में उनकी चहलकदमी से इसे महसूस किया जा सकता है। बेचैनी दूर करने के लिये वह योग और ध्यान का सहारा भी ले रहे हैं।
जेल सूत्रों के अनुसार डेरा प्रमुख केवल वक्त निकालने के लिये बहुत कम मात्रा में खाना ले रहे हैं। दूध और एक आध चपाती लेकर ही काम चला रहे हैं। कभी विभिन्न तरह के पकवानों से सज़ी और परोसी जाने वाली थाली अब उनके आगे से गायब है। उन्हें आम कैदियों को दिया जाने वाला जेल में बना खाना ही दिया जा रहा है जो उनके गले से नीचे नहीं उतर रहा है।