मौलाना लतीफ ने यहां कहा कि उन्होंने यह बयान इस बात से नाराज होकर दिया था कि कुछ हिन्दू संगठन ताजमहल को शिव मंदिर बता रहे थे। उन्होंने कहा कि जैसे हिन्दू संगठनों के ताजमहल को शिव बताने से वह मंदिर नहीं हो गया, उसी तरह बद्रीधाम को बदरुद्दीन शाह की मजार बताने से वह मजार नहीं हो गया।
मौलाना लतीफ ने कहा कि भारत अनेक मजहबों और संस्कृतियों का देश है। जहां सभी संस्कृति और मजहब फले-फूले हैं। हिन्दू और मुसलमानों का कर्तव्य बनता है कि वे एक-दूसरे के अस्तित्व को स्वीकारें और सम्मान दें। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ धाम संबंधी उनके बयान से हिन्दू भाइयों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, वह इससे खुद भी दुःखी और शर्मिन्दा हैं। इसके लिए वे सभी से माफी मांगते हैं। (वार्ता)