खुली सिगरेट की बिक्री पर रोक से क्या फर्क पड़ेगा?

गुरुवार, 27 नवंबर 2014 (07:44 IST)
धूम्र-पान पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने खुले सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी में है और प्रस्ताव है कि 25 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू से बने उत्पादों की बिक्री की अनुमति न दी जाए। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा को बताया कि इस संबंध में एक विशेषज्ञ समिति द्वारा सिफारिशें की गई हैं, जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकार लिया है। 
 
सवाल यह है कि खुली सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने से कितना फर्क आएगा? इससे पहले भी सरकार ने सिगरेट की लत से निजात दिलाने के लिए कई अभियान चलाए हैं, जिनके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। 
 
सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक चेतावनी लिखी होती है, लेकिन देखा गया है कि इसका कोई खास असर लोगों के तंबाकू छोड़ने पर नहीं होता। इसी के चलते सरकार ने लती लोगों को एक अलग तरीके से सबक सिखानें की तरकीब निकाली है। तंबाकू उत्पादों के दाम बढ़ाकर तंबाकू के लती लोगों के प्रतिशत को घटाने का सरकार बीड़ा उठा चुकी है। माना जा रहा है कि ऐसा करने से लगभग 70 प्रतिशत तंबाकू के लती लोगों की लत छुड़ाने में मदद मिल सकती है।
 
ब्रिटिश मेडिकल जरनल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सन् 1980 से 2012 तक पुरुषों की 33.8 से 23 प्रतिशत तक तंबाकू इस्तेमाल करने की लत में गिरावट देखने को मिली है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह भारत की विशाल जीत है। 
 
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि विश्व  में चीन जहां स्मोकर की संख्या 300 मिलियन होने के साथ विश्व में सबसे से ज्यादा स्मोकिंग करने वाला देश है वही हमारा देश भारत 120 मिलियन स्मोकर के साथ स्मोकिंग करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। 
 
देश में तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल के चलते संबंधित बीमारियों के प्रकोप से हर साल 900000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसके अलावा इससे संबंधित बीमारियों के इलाज में देश को 13500 हजार करोड़ की राशि हर साल खर्च करनी पड़ती है।  
 
चीन भी भारत की ही तरह तंबाकू उत्पादों में पाबंदी लगाना शुरू करने वाला है जिसके अंतर्गत तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन को बैन किया जाएगा व सिनेमा टीवी के माध्यम से तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभावों से लोगों को रूबरू कराया जाएगा। 
 
सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम की कई लोग आलोचना भी कर रहे हैं उनका मानना हैं कि सरकार के इस कदम ने अमीरों और गरीबों के बीच भेदभाव किया गया है। उनका मानना है कि सरकार के इस फैसले से अमीर लोग किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होंगे व फैसले का प्रभाव गरीब वर्ग पर ही पड़ेगा। 
 
इस सबके बावजूद लोगों को यह समझने की जरूरत भी है कि अगर कोई व्यक्ति तंबाकू के सेवन के चलते बीमार होता है तो उसे ही अतिरिक्त भार झेलना होगा, और इसका सीधा असर उसकी आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा जिसके चलते पूरे परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।   
 
सिगरेट के महंगे व बंद होने के साथ यह हो सकता है कि बाजार में जाली सिगरेट का चलन बढ़ जाए। दरअसल कुछ तो बीड़ी ही इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे। ऐसे में सरकार को बड़ी ही होशियारी से काम लेना होगा ये तो लाजिमी है। बावजूद इसके सवाल पैदा होता  है कि अगर सरकार इस पर कुछ करना भी चाहे तो नही कर सकती। इस भ्रष्टतंत्र  की कहानी ही बड़ी विचित्र है। 
 
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सरकार की लूज सिगरेट रणनीति काम करेगी,पर इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए जैसा कि अन्य देशों ने भी किया है,सिगरेट को सबसे पहले सड़कों से हटाना होगा। सरकार को जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा संस्थानों की सिगरेट ब्रिक्री करने से छुट्टी करनी चाहिए जिससे कि सिगरेट देश की सड़कों से तौबा कर ले।  

वेबदुनिया पर पढ़ें