रामपुरहाट की घटना से घिरीं बंगाल की CM ममता बनर्जी, 2024 की 'उम्मीदों' को लगा झटका : Explainer

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन के लिए पहचाना जाने वाला पश्चिम बंगाल का बीरभूम जिला इन दिनों रामपुरहाट की दिल दहलाने वाली घटना के कारण सुर्खियों में है, जहां 12 लोगों को उन्हीं के घर में बंद कर जिंदा जला दिया गया। इस घटना के बाद सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गए हैं। इस घटना से स्थानीय लोग इतने खौफ में हैं कि अपने घरों को ही छोड़कर जा रहे हैं। हालांकि बंगाल के अतीत पर नजर डालें तो यहां राजनीतिक हिंसा का इतिहास काफी पुराना है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में सोमवार देर रात भड़की हिंसा में भीड़ ने कुछ घरों के दरवाजे बाहर बंद कर आग लगा दी। इस घटना में 12 लोगों की मौत हो गई। एक ही घर से 7 लोगों के शव निकाले गए। इस घटना के बाद स्थानीय लोग बेहद डरे हुए हैं। वे अपने घरों को छोड़कर दूसरे स्थान पर जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से लोग घरों को छोड़कर जा रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि यदि पुलिस ने सुरक्षा दी होती तो शायद यह घटना घटती होती ही नहीं। 
 
टीएमसी नेता की मौत का बदला : कहा जा रहा है कि रामपुरहाट में टीएमसी के उपप्रधान की हत्या का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया। सोमवार देर रात शेख स्टेट हाईवे 50 पर टीएमसी के पंचायत स्तरीय नेता भादू शेख पर बम से हमला किया गया था। इस हमले में शेख की मौत हो गई। 
 
अवैध खनन से जुड़ा है यह मामला : यह भी कहा जा रहा है कि भादू की हत्या अवैध खनन से जुड़ी कमाई को लेकर हुई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस तरह की घटना की आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी। इस पूरे कांड में पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह पूरा मामला टीएमसी समर्थक दो परिवारों और उनके समर्थकों के बीच आपसी रंजिश का बताया जा रहा है।   
 
मोदी ने भी साधा टीएमसी पर निशाना : रामपुरहाट कस्बे के बाहरी इलाके बोगतुई गांव में हुई इस बर्बर घटना ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को भी सुरक्षात्मक मुद्रा में ला दिया है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस घटना में मृत लोगों के प्रति संवेदना जताई है। उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि राज्य सरकार, बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी।
 
मोदी ने टीएमसी पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि मैं बंगाल के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि ऐसी वारदात को अंजाम देने वालों को, ऐसे अपराधियों का हौसला बढ़ाने वालों को कभी माफ न करें। वहीं, ममता ने कहा कि सरकार हमारी है हम कभी नहीं चाहेंगे कि किसी की भी मृत्यु हो। रामपुरहाट की घटना दुर्भाग्पूर्ण है। तृणमूल कांग्रेस ने हिंसा में शामिल होने से इनकार किया है। हालांकि ममता ने यह कहकर इस मामले पर पानी डालने की कोशिश की है कि ऐसी घटनाएं उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में अक्सर होती हैं।
 
काफी पुराना है राजनीतिक हिंसा का इतिहास : बंगाल में राजनीतिक हिंसा का इतिहास काफी पुराना है। पिछले साल भी विधानसभा चुनाव के दौरान भड़की हिंसा में 16 लोगों की जान गई थी। एक जानकारी के मुताबिक 1977 से 2007 तक पश्चिम बंगाल में 28 हजार राजनीतिक हत्याएं हुईं। सिंगूर और नंदीग्राम का आंदोलन भी राजनीतिक हिंसा का ही एक नमूना था। ऐसी ही कई अन्य घटनाएं भी हैं, जो दर्ज ही नहीं हुईं।
 
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2013 से लेकर मई 2014 के काल में बंगाल में 23 से अधिक राजनीतिक हत्याएं वहां पर हुईं। 2016 में राजनीतिक कारणों से हुईं हिंसक घटनाओं में 205 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह 2018 में पंचायत चुनाव के दौरान एक दिन में 18 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
 
केन्द्रीय हस्तक्षेप की मांग : इस घटना पर पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने कहा कि पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल में 26 मर्डर हुए, हमारे सांसद पर बम से हमला किया गया, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी गोलियां और बम चल रहे हैं। बंगाल के एक कैबिनेट मंत्री ने कहा कि अगर गोली और बम नहीं चलेंगे तो पुलिस और कोर्ट क्या करेगा? मजूमदार ने इस मामले में केन्द्रीय हस्तक्षेप की मांग की है। 
 
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बीरभूम एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां राजनीतिक हिंसा अपने चरम पर है। हर दिन विपक्षी दलों को निशाना बनाया जाता है। राज्य में 200 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत को लेकर दिलीप घोष ने सवाल किया कि ममता सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में रामपुर हाट जैसी घटनाएं नहीं होतीं। 
 
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ट्‍वीट कर कहा कि रामपुरहाट में टीएमसी के उपप्रधान की हत्या का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया है। तृणमूल समर्थक आरोपियों ने 5 घरों के दरवाजे बंद कर आग लगा दी। क्या बंगाल की जनता ने आपको (तृणमूल कांग्रेस) इनके लिए चुना है।
 
हाईकोर्ट का सख्त रुख : कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस हिंसा को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने ममता सरकार को बीरभूम के रामपुरहाट में आगजनी की घटना पर 24 घंटे के भीतर स्थिति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि मौके पर सबूत नष्ट नहीं होने चाहिए। साथ ही कहा कि केन्द्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से एक टीम आगजनी की घटना के नमूने एकत्र करने के लिए भेजी जाएगी।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने : इस मामले में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्‍यमंत्री एक बार फिर आमने सामने हैं। राज्यपाल ने जहां इस घटना को 'भयानक हिंसा और आगजनी का तांडव' और राज्य में कानून व्यवस्था की नाक में दम करने वाला करार दिया, वहीं ममता ने पत्र लिखकर राज्यपाल पर निशाना साधा है। ममता ने कहा कि निष्पक्ष जांच का मार्ग प्रशस्त करने के बजाय व्यापक और अनावश्यक बयान देना बेहद अनुचित है। उन्होंने राज्यपाल से अनुचित बयान से परहेज करने का अनुरोध किया। 
 
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्ष को एकजुट करने में जुटी मख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को इस घटना ने 'बैकफुट' पर ला दिया है। वे भाजपा समेत अन्य विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई हैं। घटनास्थल का दौरा करने और पीड़ितों से मिलने के बाद सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि हिंसा मामले में कुछ छिपाया जा रहा है। लोकसभा में भी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों को जिंदा जलाने की ऐसी भयावह घटनाएं हो रही हैं।

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