उत्तर प्रदेश में अगले साल 2022 की शुरुआत में फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा गर्मा गया है। चुनाव से ठीक पहले सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सियासत के केंद्र में आ गए है। राजनीतिक गलियारों में सत्ता और संगठन में फेरबदल की अटकलें भी तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हाईकमान ने चार साल में संभवतः पहली बार संगठन और सरकार के कामों की समीक्षा करने के लिए अपने दो पर्यवेक्षकों को लखनऊ में एक तरह से तैनात कर दिया है।
चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी से लेकर मंत्रिमंडल के चेहरे बदले जाने तक की अटकलें भी बीतों दिनों से चर्चा के केंद्र में है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के किसके चेहरे पर लड़ेगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़कर बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं चुनाव के बाद अप्रत्याशित तरीके से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाकर उनको राज्य की कमान सौंप दी गई थी। सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर बीते चार सालों में योगी आदित्यनाथ ने अपना कद इतना बड़ा कर लिया है कि उन्हें अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर भी देखा जाने लगा है।
उत्तर प्रदेश की सियासत पर कई दशकों से पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नागेन्द्र वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि देखिए यह बात पूरी तरह सही है कि 2017 में भाजपा ने विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा था और जीत हासिल की थी। 2017 का विधानसभा चुनाव जरा याद कीजिए जिसमें चेहरा तो दूर की बात पोस्टर में भी योगी आदित्यनाथ का कहीं चेहरा नहीं था। 2017 के भाजपा के संकल्प पत्र में मोदी,शाह,राजनाथ सिंह,उमा भारती और केशव प्रसाद मोर्य की ही तस्वीरें थी।
चुनाव के बाद अप्रत्याशित तरीके से मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ का पर्दापण हुआ और उसके बाद बीते चार सालों में आज योगी अपना चेहरा इतना इतना बड़ा बना चुके है कि अब यूपी में मोदी,योगी के बिना नहीं चल पाएंगे। अगर देखा जाए तो आज उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास योगी का कोई विकल्प भी नहीं मौजूद है।
अब जब योगी अपना कद और चेहरा दोनों इतना बड़ा कर चुके है तो मेरा बहुत स्पष्ट मानना है कि मोदी और शाह सहित भाजपा के योगी का विकल्प नहीं है और वह यूपी में योगी के बिना नहीं चल पाएगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में चेहरा मोदी का होगा लेकिन योगी के साथ ही होगा। विधानसभा चुनाव योगी और मोदी के चेहरे अगल बगल रखकर ही होंगे, चुनाव के बाद क्या होगा यह अभी नहीं कहा जा सकता।
2022 के उत्तप्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा का हिंदुत्व सबसे बड़ा ट्रंप कार्ड होगा और भगवाधारी योगी आदित्यनाथ उस हिंदुत्व के आज सबसे बड़े चेहरे है। अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के साथ 2022 का यूपी विधानसभा वह पहला चुनाव होगा जिसमें भाजपा इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसे में अगर हिंदुत्व को एजेंडे के साथ भाजपा को चलना है तो योगी ही सबसे बड़ा चेहरा होंगे।
इसके साथ यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर अब संघ भी पूरी तरह से संक्रिय हो गया है। संघ की पूरी नजर दिल्ली से लेकर लखनऊ तक के सियासी घटनाक्रम पर टिकी है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ संघ की पंसद थे न कि मोदी-शाह की च्वाइस। जिस संघ की पंसद से ही योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने थे वह आज भी उनके साथ ही नजर आ रहा है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका को लेकर वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र जी के शब्दों में इस तरह से बहुत अच्छे से समझा जा सकता है कि आज उत्तर प्रदेश में मोदी-शाह के लिए योगी ही सीमा है,योगी ही संभावना है।