देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों वोटरों को साधने के लिए राजनीतिक दलों में सियासी संग्राम छिड़ गया है। बसपा के ब्राह्मण सम्मलेन के बाद अब समाजवादी पार्टी भी खुद को ब्राह्मण हितैषी बताने की होड़ में जुट गई है। ब्राह्मण वोटरों को रिझाने के लिए हर जिले में ब्राह्मण सम्मलेन करने जा रही है। वहीं बसपा के अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या जाना और उनके अयोध्या से विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलों ने साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में हर पार्टी ब्राह्मण वोटरों को साधने में जुटी हुई है।
2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मण वोटरों पर सियासी दलों के डोरे डालने के बीच अब ब्राह्मणों ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मणों ने एकजुट होकर अपनी पार्टी का गठन कर लिया है और अब उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया भी शुरु कर दी है। पार्टी प्रदेश की 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र नाथ त्रिपाठी दावा करते हैं कि प्रदेश भर के ब्राह्मणों संगठनों और समाज के लोगों की मांग पर अखिल भारतीय सर्वजन हित पार्टी का गठन किया गया है और अब चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है। वह कहते हैं कि प्रदेश में 100 से अधिक सीटें ऐसी है जहां ब्राह्मण अपने दम पर ब्राह्मण उम्मीदवारों को जीता सकते है। ऐसे में पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों में इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है इसके लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई है।
भाजपा नहीं योगी आदित्यनाथ से नाराजगी–‘वेबदुनिया’ से बातचीत में राजेंद्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि योगी सरकार में जिस तरह ब्राह्मणों पर अत्याचार हुआ और ब्राह्मणों को वोट लेने के बाद भाजपा सरकार ने उनका ठगा है इसलिए अब योगी आदित्यनाथ को सबक सिखाने के लिए ब्राह्मण समाज खुद की पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे है। वहीं वह आगे कहते हैं कि अगर चुनाव में बड़े दलों ने उनसे समर्थन मांगा तो अपनी शर्तों के अनुसार समझौता भी कर सकते है।
वहीं ‘वेबदुनिया’ के इस सवाल पर कि अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनसे समर्थन मांगेंगे तो समर्थन देंगे। इस सवाल पर राजेंद्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि हमने साढ़े चार साल योगी जी की कार्यप्रणाली को देख लिया है इसलिए इनसे कोई समझौता नहीं होगा। हां अगर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उनसे समर्थन की बात करता है तो अपनी शर्तों के आधार पर वह अपना समर्थन दे सकते है।
इसके साथ उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले छोटे दलों के गठबंधन पर के सवाल पर वह कहते हैं कि पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतर सकती है। इसमें समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी शामिल है।
योगी को गढ़ में घेरने की तैयारी- विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ में घेरने के लिए पार्टी गोरखपुर और उसके आस-पास जिले के सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। जिसमें योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में चिल्लूपार, सहजनवां और चौरी-चौरा की तीन विधानसभा सीटों के साथ देवरिया जिले की देवरिया सदर, बरहज, रुदपुर के साथ महाराजगंज, पडरौना बस्ती और अयोध्या जिले की भी कई ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा सीटें शामिल है।
अन्य पार्टी के ब्राह्मण नेताओं को न्यौता- राजेंद्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि उन्होंने प्रदेश के सभी ब्राह्मण नेताओं को आमंत्रित किया है कि वह हमारी पार्टी में है। राजेंद्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि कब तक वह किराए के घर में रहेंगे। राजेंद्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि कई पूर्व विधायक और दिग्गज ब्राह्मण नेता उनसे संपर्क में है और उनकी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे।
ब्राह्मण वोट बैंक की अहमियत- वैसे तो उत्तर प्रदेश की सियासत में हमेशा से ब्राह्मण सियासत के केंद्र में रहा है। राज्य में कुल 12 फीसदी वोट बैंक रखने वाला ब्राह्मण समाज लगभग 100 सीटों पर जीत हार तय करने में अपना रोल निभाता है। कुछ विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण वोटरों की संंख्या 15 से 18 फीसदी तक है। ऐसे में हर पार्टी की नजर इसी वोट बैंक पर टिकी हुई है। प्रदेश के सियासी इतिहास को देखे तो ब्राह्मण का एक मुश्तवोट जिस भी पार्टी को मिलता है वह सरकार बना लेती है।