विपक्ष ने जहां अडाणी के मुद्दे पर हंगामा किया, वहीं सत्तारूढ़ सांसदों ने राहुल की मांफी की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही को अवरुद्ध किया। यदि संसद एक दिन हंगामे की भेंट चढ़ जाए तो करोड़ों का नुकसान होता है।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च नामक थिंक टैंक के अनुसार, लोकसभा में 133.6 घंटे की निर्धारित अवधि के मुकाबले 45 घंटे से थोड़ा ही अधिक कामकाज हुआ, जबकि राज्यसभा में 130 घंटे की निर्धारित अवधि के मुकाबले 31 घंटे से थोड़ा ही अधिक कामकाज हुआ।