सूत्रों ने कहा कि माल्या के लौटने पर ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन (बीओआई) ने एजेंसी से पूछा कि क्या माल्या को हिरासत में लिया जाना चाहिए जैसा कि एलओसी में कहा गया है, इस पर सीबीआई ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वे वर्तमान में एक सांसद हैं और उनके खिलाफ कोई वारंट भी नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने नवंबर 2015 के आखिरी हफ्ते में माल्या के खिलाफ एक ताजा एलओसी जारी किया जिसमें देशभर के हवाई अड्डा प्राधिकारियों से कहा गया कि वे उन्हें माल्या के आवागमन के बारे में सूचना दें। इससे इस सर्कुलर ने उस पूर्ववर्ती सर्कुलर का स्थान ले लिया जिसमें कहा गया था कि यदि उद्योगपति देश से जाने का प्रयास करें तो उन्हें हिरासत में ले लिया जाए।
एलओसी इसे जारी करने वाले प्राधिकारी पर निर्भर करता है और जब तक इसमें बीओआई से किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने या किसी विमान में सवार होने से रोकने के लिए नहीं कहा जाता, कोई कदम नहीं उठाया जाता। सूत्रों के मुताबिक माल्या ने अक्टूबर में विदेश की यात्रा की और नवंबर में लौट आए, फिर वे दिसंबर के पहले और आखिरी हफ्ते में दो यात्राओं पर गए और उसके बाद जनवरी 2016 में भी एक यात्रा की।
इस बीच वे तीन बार पूछताछ के लिए पेश हुए, क्योंकि लुकआउट सर्कुलर जारी किए गए थे। इसमें वे एक बार नई दिल्ली में और दो बार मुंबई में पेश हुए। सीबीआई ने अब कहा कि नोटिस में बदलाव 'एरर ऑफ जजमेंट' था क्योंकि वह सहयोग कर रहे थे, इसलिए विदेश जाने से रोकने का कोई कारण नहीं बनता था। गौरतलब है कि 2 मार्च 2016 को माल्या देश छोड़कर चले गए। माल्या ब्रिटेन में हैं, जहां वे प्रत्यर्पण का मुकदमा लड़ रहे हैं। (भाषा)