सीडीएस जनरल बिपिन रावत तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर क्रेश के बाद जिंदा थे और वे अपना नाम बता पाने में पूर्णतया सक्षम थे। इस बात का दावा एक शख्स ने किया है, जो सबसे पहले चॉपर के बिखरे पड़े मलबे के पास पहुंचा था।
बचावकर्मी ने बताया कि जनरल रावत के शरीर के निचले हिस्से बुरी तरह से जल गए थे। इसके बाद एक बेडशीट में लपेटकर उन्हें एम्बुलेंस में ले जाया गया था। मुरली ने बताया कि चॉपर के मलबे की आग को बुझाने के लिए फायर सर्विस इंजन की वहां तक ले जाने की सड़क नहीं थी और घरों और नदियों के पानी लाकर आग बुझाने का प्रयास किया गया और यह ऑपरेशन काफी मुश्किल था।
आसपास में पेड़ होने से भी बचाव कार्यों में काफी दिक्कत आई। जिस जगह चॉपर हादसे का शिकार हुआ, वहां से करीब 100 मीटर की दूसरी पर काटेरी गांव है। यहां की ग्रामीण महिला पोथन पोन्नम ने क्रेश से पहले उसके गुजरने की आवाज सुनी थी।