मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के जौलखेड़ा में 7 नवंबर 1936 में जन्मे देवताले 1960 के दशक में अकविता आंदोलन के साथ उभरे थे और 'लकड़बग्घा हंस रहा है' संग्रह से चर्चित हुए थे। हिंदी में एमए करने के बाद उन्होंने मुक्तिबोध पर पीएचडी की थी। वह इंदौर में एक कॉलेज से शिक्षक के रूप में सेवा निवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन कर रहे थे।
उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान के अलावा मध्यप्रदेश शिखर सम्मान तथा मैथिली शरण गुप्त सम्मान मिला था। उनकी चर्चित कृतियों में 'रौशनी के मैदान के उस तरफ', 'पत्थर फेंक रहा हूँ,' ' हड्डियों में छिपे ज्वार' शामिल हैं। उन्होंने संत तुकाराम और दिलीप चित्रे की रचनाओं का अनुवाद भी किया था।
भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई, विष्णु खरे, विष्णु नागर, मंगलेश डबराल ने देवताले के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। (वार्ता)