भारतीय अंतरिक्ष अनुसधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार के सहयोग से लिखे गए एक अनुसंधान पत्र में कहा गया है कि चंद्रयान-2 में लगे उपकरणों में इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (आईआईआरएस) नाम का एक उपकरण भी है जो वैश्विक वैज्ञानिक आंकड़ा प्राप्त करने के लिए 100 किलोमीटर की एक ध्रुवीय कक्षा से संबंधित काम कर रहा है।
इसमें कहा गया है कि प्लेजियोक्लेस प्रचुर चट्टानों में चंद्रमा के अंधकार से भरे मैदानी इलाकों की तुलना में अधिक ओएच (हाइड्रोक्सिल) या संभवत: एच2ओ (जल) अणु पाए गए हैं। चंद्रयान-2 से भले ही वांछित परिणाम न मिले हों, लेकिन इससे संबंधित यह घटनाक्रम काफी मायने रखता है।
भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को चांद के लिए रवाना किया था। हालांकि, इसमें लगा लैंडर विक्रम उसी साल सात सितंबर को निर्धारित योजना के अनुरूप चांद के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं रहा जिसकी वजह से पहले ही प्रयास में चांद पर उतरने वाला पहला देश बनने का भारत का सपना पूरा नहीं हो पाया। चंद्रयान-2 के लैंडर के भीतर प्रज्ञान नाम का रोवर भी था।