वॉशिंगटन। पृथ्वी से डायनासौर का नामोनिशान मिटाने वाले क्षुद्रग्रह चिक्शुलब की वजह से धरती के तापमान में तेजी से 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई थी और यह स्थिति अगले करीब 1,00,000 साल तक बनी रही थी। क्षुद्रग्रह चिक्शुलब धरती से टकराया था और वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी टक्कर की वजह से पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी में जो बदलाव हुआ, उससे डायनासौर का अस्तित्व ही समाप्त हो गया था।
एक नए अध्ययन में यह दावा करते हुए कहा गया है कि मौजूदा समय में मानवीय गतिविधियों से धरती को जितना नुकसान पहुंच रहा है उससे कहीं ज्यादा नुकसान धरती को चिक्शुलब से टकराने की दुर्लभ घटना की वजह से हुआ था। चिक्शुलब का पृथ्वी से टकराना इस बात की अहम जानकारी मुहैया करता है कि पर्यावरण में बहुत ज्यादा बदलाव हो तो अचानक कुछ भी हो सकता है।
इस क्षुद्रग्रह की पृथ्वी से टक्कर पर किए गए विश्लेषणों में विशेषज्ञों ने कहा है कि इसके बाद वैश्विक तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो गई थी और यह स्थिति अगले करीब 1,00,000 साल तक रही थी। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि क्षुद्रग्रह के प्रभाव की वजह से पृथ्वी की अंदरुनी सतह से निकला कार्बन तथा वन्य क्षेत्रों में आग लगने से निकला कार्बन वायुमंडल में पहुंचा जिसकी वजह से तापमान के गंभीर दुष्प्रभाव भी हुए। (भाषा)