आयोग ने पिछले वर्ष 3 जून को घोषित कांग्रेस, भाजपा, भाकपा, राकांपा, माकपा और बसपा को सार्वजनिक प्राधिकार घोषित किया था और उन्हें सूचना के अधिकार कानून के तहत जवाबदेह बताया था। आयोग ने इन्हें कानून के तहत सूचना मांगने से जुड़े आवेदन के संदर्भ में जरूरी बातों का पालन करने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया था।
लेकिन किसी राजनीतिक दल ने इस अर्धन्यायिक निकाय के निर्देशों का पालन नहीं किया था, जो आरटीआई कानून के तहत तब तक बाध्यकारी है, जब तक रिट याचिका के जरिए इसके प्रतिकूल आदेश उच्च न्यायालय से नहीं आ जाता है।