बिजली, रियल एस्टेट, पेट्रोलियम, शराब भी आए जीएसटी में : सीआईआई
नई दिल्ली। प्रमुख उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने बिजली, रियल एस्टेट, पेट्रोलियम और शराब को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने और सभी प्रोत्साहनों को समाप्त कर कॉर्पोरेट कर को कम कर 18 प्रतिशत करने की गुरुवार को मांग की।
सीआईआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद पहली बार चर्चा में कहा कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाया गया है, लेकिन अभी भी इसमें बहुत संभावना है। उन्होंने पेट्रोलियम, बिजली, शराब और रियल एस्टेट को इसके दायरे में लाने की मांग करते हुए कहा कि जीएसटी के लिए एक दर रखना मुमकिन नहीं है। इसके लिए दो या तीन दरें रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से कर आधार बढ़ाने में मदद मिली है, लेकिन अभी भी करीब छह करोड़ लोग ही आयकर रिटर्न भर रहे हैं, जिनमें से करीब आधा नौकरीपेशा लोग हैं। इसके मद्देनजर आम लोगों से भी आयकर रिटर्न भरने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि कर आधार बढ़ाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इतने बड़े देश में मात्र छह करोड़ करदाता होना उचित नहीं है।
सरकार के 250 करोड़ रुपए तक के कारोबार वाली कंपनियों को 25 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर के दायरे में लाने को स्वागत योग्य बताते हुए उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत कंपनियां इसके दायरे में आ चुकी हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियों को 10 वर्षों तक विभिन्न प्रकार की छूट दी गई है जिसे एक झटके में समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन इनका उपाय करते हुए सरकार कॉर्पोरेट कर को कम कर 18 प्रतिशत करने की दिशा में बढ़ सकती है।