खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज लिखे एक पत्र में कहा है कि अगर सरकार वास्तव में लोकपाल की उसके वास्तविक अर्थों में नियुक्त करना चाहती है तो उसे नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष के मत को महत्व देना होगा। इसके लिए लोकपाल अधिनियम 2013 में संशोधन कर चयन समिति में सदस्य के तौर पर 'लोकसभा में विपक्ष के नेता' के स्थान पर 'सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता' का प्रावधान करना चाहिए।
खड़गे ने लोकपाल की नियुक्ति संबंधी 'चयन समिति' की गत एक मार्च को बुलाई गई बैठक में शामिल होने से इंकार करते हुए भी इसी तरह का पत्र उस समय प्रधानमंत्री को लिखा था। उन्होंने कहा था कि उन्हें बैठक में 'विशेष आमंत्रित' के तौर पर बुलाया गया है और इस नाते उन्हें बैठक में अपनी राय दर्ज कराने तथा वोट का अधिकार नहीं होगा, इसलिए उनका इसमें शामिल होना निरर्थक होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को एक बार फिर सुझाव देना चाहते हैं कि सरकार लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष की आवाज को महत्व देने के लिए संबंधित कानून में अध्यादेश के माध्यम से जरुरी संशोधन करे। उन्होंने लिखा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति संबंधी चयन समिति के लिए ऐसा प्रावधान किया जा चुका है, जिससे लोकपाल मामले में सरकार का दोहरा मापदंड जाहिर होता है। सरकार वास्तव में लोकपाल की सही ढंग से नियुक्ति करना चाहती तो वह संसद के पिछले सत्र में कानून में संशोधन कर सकती थी। (वार्ता)