electoral bonds : कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि सरकार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के माध्यम से लगातार इस बात को सामने आने से रोकने या देरी करने की कोशिश कर रही है कि किसने, किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया कि आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किस बात से डरे हुए हैं?
रमेश ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर अपनी पोस्ट में कहा, 15 फरवरी 2024 को चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से मोदी सरकार एसबीआई के माध्यम से लगातार इस बात को सामने आने से रोकने या देरी करने की कोशिश कर रही है कि किसने, किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया।'
उन्होंने सवाल किया, 'प्रधानमंत्री किस बात से इतने डरे हुए हैं? चुनावी बॉण्ड के आंकड़ों से कौन सा नया घोटाला सामने आएगा?
यह आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री आज नई दिल्ली में हैं। इसलिए आज कोई नया "उद्घाटन" नहीं होगा, कोई रीब्रांडिंग नहीं होगी, पिछले कामों का क्रेडिट लेने के लिए कोई दावा नहीं होगा। लेकिन ये उनकी सरकार की बुनियादी ज़िम्मेदारियों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनके जवाब उन्हें…
रमेश ने दावा किया कि 20 फ़रवरी 2024 को पता चला था कि ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग के छापे या जांच के तुरंत बाद 30 कंपनियों से भाजपा को 335 करोड़ रुपए तक का चंदा मिला है।
उन्होंने प्रश्न किया, 'छापे के तुरंत बाद कंपनियों ने भाजपा को चंदा क्यों दिया? क्या भाजपा चंदा वसूलने के लिए इन कंपनियों को ईडी-सीबीआई-आयकर विभाग की जांच की धमकी देकर डरा रही है?'
कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया, 'सेबी ने जिन चार कंपनियों को सेल कंपनी बताया है, उनसे भाजपा ने 4.9 करोड़ रुपये का चंदा क्यों लिया? इन कंपनियों के माध्यम से भाजपा के पास किसका काला धन आया?
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू किए जाने के संदर्भ में रमेश ने कहा कि कानून के नियमों को अधिसूचित होने में 4 साल 3 महीने क्यों लग गए तथा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जानबूझकर इन नियमों को अधिसूचित क्यों किया गया?
रमेश ने सवाल किया, आखिर हालात इस हद तक कैसे पहुंच गए कि लोकसभा चुनाव से पहले, भारत में 3 के बजाय केवल एक ही निर्वाचन आयुक्त रह गए? निर्वाचन आयोग से अरुण गोयल ने अचानक क्यों इस्तीफा दिया?
कांग्रेस महासचिव ने उनकी पार्टी के खिलाफ हुई आयकर विभाग की कार्रवाई का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार कांग्रेस पार्टी से इतना क्यों डरती है कि उसे खाताबंदी और टैक्स टेररिजम का सहारा लेना पड़ रहा है?