आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य संजयसिंह ने तो इसे राष्ट्र विरोधी कदम करार दिया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय चिन्ह को बदलने वालों को क्यों नहीं राष्ट्र विरोधी कहा जाए।Constitution separates powers of parliament, govt & judiciary. As head of govt, @PMOIndia shouldnt have unveiled the national emblem atop new parliament building. Speaker of Lok Sabha represents LS which isnt subordinate to govt. @PMOIndia has violated all constitutional norms pic.twitter.com/kiuZ9IXyiv
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 11, 2022
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 12, 2022इसे भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय स्तंभ के रूप में अपनाया गया था। नए संसद भवन की छत पर बना अशोक स्तंभ यानी राष्ट्रीय प्रतीक ब्रॉन्ज से बना है।
मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये। https://t.co/JxhsROGMRi
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 11, 2022इसका वजन 9500 किलो है और उसकी लंबाई 6.5 मीटर है। इस प्रतीक को उच्च गुणवत्ता वाले कांस्य यानी ब्रॉन्ज से बनाया गया है।
To completely change the character and nature of the lions on Ashoka's pillar at Sarnath is nothing but a brazen insult to Indias National Symbol! pic.twitter.com/JJurRmPN6O
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 12, 2022