दरअसल, मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह वही भाग्यनगर है, जहां से सरदार पटेल ने भारत को एक साथ लाने के लिए अभियान शुरू किया था। उन्होंने कहा कि हैदराबाद भाग्यनगर है, जो हम सभी के लिए अहम है। हैदराबाद का नाम भाग्यनगर किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जब तेलंगाना में भाजपा सत्ता में आएगी, तो मुख्यमंत्री कैबिनेट सहयोगियों के साथ मिलकर इसका फैसला करेंगे। आखिर क्या है भाग्यनगर का इतिहास, आइए जानते हैं...
किसने की हैदराबाद की स्थापना : हैदराबाद की स्थापना 1591-92 ईस्वीं में मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने की थी। इसी दौरान चारमीनार का भी निर्माण हुआ था। मोहम्मद कुली के पिता इब्राहिम कुली कुतुब शाह ने विजयनगर में 7 साल (1543-50 ई.) निर्वासन में बिताए थे, जबकि उसका भाई गोलकुंडा का शासक था।
भाग्यमती या भाग्यलक्ष्मी? : स्थानीय लोकश्रुतियों के अनुसार मोहम्मद कुली को भाग्यमती नाम की एक देवदासी से प्रेम हो गया था, जो कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर में देवदासी थी। भाग्यमती पर मुग्ध होकर मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने नए शहर का नाम भाग्यनगर रखा था। ऐसा भी कहा जाता है कि जब जब भाग्यमती ने इस्लाम अपना लिया तो उस शहर का नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया गया। हालांकि इतिहाकारों में इसको लेकर भी मतभेद हैं।
वहीं, कुछ भाग्यनगर को भाग्यलक्ष्मी मंदिर से भी जोड़कर देखते हैं। इस मान्यता में विश्वास रखने वाले लोगों खासकर हिन्दुओं का कहना है कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर चारमीनार से भी ज्यादा पुराना है। चारमीनार को निर्माण 1591 में शुरू हुआ था।
एक नहीं तीन नाम : 1816 में ब्रिटिश नागरिक ऐरॉन एरो स्मिथ ने हैदराबाद का एक नक्शा तैयार किया था। इसमें हैदराबाद के लिए तीन नामों का इस्तेमाल किया गया था- गोलकुंडा, हैदराबाद और भाग्यनगर। उस नक्शे में हैदराबाद का नाम मोटे अक्षरों में लिखा था, जबकि उसके नीचे उन्होंने भाग्यनगर लिखा था और साथ में गोलकुंडा भी लिखा था।