इसके अनुसार जिन खातों में नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेन-देन पाया जाएगा, भले ही वह ढाई लाख से कम का ही क्यों न हो, उन पर आगे कार्रवाई की जाएगी। आयकर विभाग की इस कार्रवाई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी साथ देगा क्योंकि नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद करने की कोशिशें की गई हैं।
इस बात की पुष्टि आयकर विभाग के कुछ अधिकारी भी दबी जुबान में कर रहे हैं। उनके अनुसार इस जांच के दायरे में आधे से अधिक जन-धन खाते हो सकते हैं, खासकर वे जिनमें आठ नवंबर को नोटबंदी लागू होने के बाद से अचानक 50-50 हजार रुपयों तक का बैलेंस नजर आने लगा है, जबकि नोटबंदी से पहले इनमें जीरो बैलेंस हुआ करता था।
इस समय आयकर विभाग के अधिकारी वित्तीय वर्ष 2013-14 के कर संबंधी नियमित आकलन में लगे हुए हैं परंतु इस बार यह पूरी कार्रवाई 30 दिसंबर तक खत्म करनी होगी क्योंकि तब तक नोटबंदी के लिए निर्धारित 50 दिन की समय-सीमा पूरी हो चुकी होगी। इसके बाद अगले तीन महीने (जनवरी से मार्च तक) आयकर विभाग नोटबंदी की अवधि में किए गए तमाम संदिग्ध लेन-देन की पड़ताल करेगा।