जस्टिस मिश्रा याकूब मेमन पर दिए अपने फैसले के लिए खास तौर पर जाने जाते हैं। इस मामले की सुनवाई के लिए उन्होंने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खोले थे। उन्होंने इस मामले में रात भर सुनवाई की थी और सुबह करीब चार बजे याकुब मेमन की फांसी पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था। अगली सुबह मेमन को फांसी दे दी गई थी।
जस्टिस मिश्रा पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। तीन अक्टूबर 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। तीन मार्च 1997 को उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया था। उसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी।
चार दिन बाद 23 दिसंबर 2००9 को उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाए और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किएस। उन्हें 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नत करके उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। (भाषा)