पीठ ने कहा, यह नहीं होना चाहिए कि वकीलों के छह महीने पुराने बिलों का भुगतान न हो और उन्हें वेतन न मिले।उच्च न्यायालय अधिवक्ता पीयूष गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने दलील दी कि वकील ऐसे समय वित्तीय कठिनाई का सामना कर रहे हैं जब अदालतें बंद हैं क्योंकि कुछ के लिए आय का एकमात्र स्रोत पेशेवर शुल्क और बिल काफी समय से लंबित हैं।
केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने सुनवाई के दौरान कहा कि केंद्र की सूची में शामिल वकीलों के लिए स्वीकृत बजट नौ करोड़ रुपए का था और पूरी राशि का भुगतान किया जा चुका है।वहीं स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की ओर से पेश हुए केंद्र सरकार के स्थाई अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि संबंधित वकीलों के बिल एनसीबी को भेज दिए गए हैं और इनमें प्रक्रिया जारी है।
उच्च न्यायालय ने वकीलों के बिलों का भुगतान करने के लिए अधिकारियों को समय दे दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख निर्धारित कर दी।पूर्व में लंबित याचिका में आवेदन दायर कर केंद्र सरकार के एक वकील ने दावा किया था कि उनके पेशेवर शुल्क का कुछ समय से भुगतान नहीं हुआ है तथा उनके कई बिल काफी समय से लंबित हैं।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के वकीलों का शुल्क या बिल काफी समय से लंबित हैं।अदालत ने केंद्र के पैनल में शामिल वकील को मुख्य मामले में पक्ष बनने की अनुमति दे दी थी।इसने केंद्र और आप सरकार को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने वकीलों के छह महीने से अधिक पुराने बिलों का जल्द से जल्द भुगतान करें।(भाषा)