Delhi High Court expressed displeasure regarding Arvind Kejriwal case : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर बार-बार याचिका दायर करने पर बुधवार को नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि एक बार जब उसने इस मुद्दे को निस्तारित कर दिया है और यह कार्यपालिका के क्षेत्र में आता है, तो बार-बार वाद दायर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह जेम्स बॉण्ड की फिल्म नहीं है जिसके सीक्वल होंगे।
यह जेम्स बॉण्ड फिल्म की तरह नहीं है जहां हम सीक्वल बनाएंगे : अदालत ने टिप्पणी की, यह जेम्स बॉण्ड फिल्म की तरह नहीं है जहां हम सीक्वल बनाएंगे। उपराज्यपाल इस पर फैसला लेंगे। आप हमें राजनीतिक जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं, बस इतना ही है। पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा भी हैं। पीठ ने दोहराया कि वह राजधानी में राज्यपाल शासन नहीं लगा सकती।
याचिकाकर्ता ऐसी कोई कानूनी बाध्यता दिखाने में विफल रहा : यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता द्वारा व्यवस्था का मजाक बनाया जा रहा है, अदालत ने कहा, आप पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। हम आदेश पारित करेंगे। अदालत ने 28 मार्च को केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता ऐसी कोई कानूनी बाध्यता दिखाने में विफल रहा है जो गिरफ्तार मुख्यमंत्री को पद संभालने से रोकती हो।
राजधानी में राज्यपाल शासन नहीं लगा सकते : अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप की भी कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि इस मुद्दे को देखना राज्य के अन्य अंगों का काम है। इसने यह भी कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में संवैधानिक मशीनरी के खराब होने की घोषणा नहीं कर सकती। अदालत ने 4 अप्रैल को इस मुद्दे पर दूसरी जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को उपराज्यपाल (एलजी) से संपर्क करने की छूट दी थी।
बुधवार को कुमार के वकील ने तर्क दिया कि उनके मामले में संविधान की व्याख्या की आवश्यकता है और धनशोधन मामले में गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल अब मुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए योग्य नहीं हैं। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि अगर कोई शिकायत थी तो उसी मुद्दे पर तीसरी याचिका दायर करने के बजाय पहले के फैसलों के खिलाफ अपील दायर की जानी चाहिए थी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour