हाई कोर्ट की जज न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने से स्पष्ट है कि इस मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने में पूरी तरह से अनिच्छुक नजर आ रही है। अदालत ने कहा, पुलिस की ओर से निचली अदालत में पेश रिपोर्ट अंतिम रिपोर्ट नहीं थी जबकि अपराध का संज्ञान लेने के लिए अधिकार प्राप्त मजिस्ट्रेट को अंतिम रिपोर्ट अग्रेषित करने की आवश्यकता है।