पहले फेरीवाले रेलवे स्टेशनों पर और ट्रेन में सवार होकर स्थानीय उत्पाद बेचते थे, जिनमें ज्यादातर खाने-पीने का सामान होता था। हालांकि वे पंजीकृत नहीं थे और सुरक्षा और स्वच्छता दोनों चिंताएं जुड़ी हुई थीं। रेलवे ने उन्हें हटाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान भी चलाया जिससे उनका ट्रेन में चढ़ना और यहां तक कि स्टेशन पर भी घूमना मुश्किल हो गया था।