विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब कुछ दिन पहले ही मोदी ने रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया था और मंच पर अपने संबोधन में संघर्षों को सुलझाने के लिए वार्ता और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता बताया था। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए दबाव बनाने का स्पष्ट संदेश भी दिया था।
रूस-यूक्रेन और पश्चिम एशिया संघर्ष पर चर्चा : यहां एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान मिस्री से पूछा गया कि मोदी-शोल्ज वार्ता में रूस-यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया संघर्ष पर कितनी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि हां, मैं पुष्टि कर सकता हूं कि दोनों मुद्दे उठे और उन पर काफी विस्तार से चर्चा हुई। प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने चांसलर के साथ हाल के महीनों में रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं के साथ अपनी बैठकों और बातचीत के बारे में अपने विचार साझा किए और सभी पक्षों पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए हम जो शांति प्रयास कर रहे हैं, उसके बारे में भी बताया।
विदेश सचिव ने कहा कि कुछ विचार जिन पर विभिन्न पक्ष चर्चा कर रहे हैं, तथा भारत किस प्रकार शांति के पक्ष में है। हम इस संघर्ष में तटस्थ नहीं हैं, हम शांति के पक्ष में हैं। हम शांति की दिशा में किसी भी पहल में सहायता करने के लिए तैयार हैं, जिससे इस संघर्ष में सभी पक्षों के साथ जुड़ने की हमारी क्षमता का लाभ उठाया जा सके। मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा था कि भारत युद्ध का नहीं, बल्कि वार्ता और कूटनीति का समर्थन करता है। (एजेंसी/वेबदुनिया)