सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाया था Pakistan, जयशंकर ने दिया ट्रंप को झटका, PM मोदी से नहीं हुई थी कोई बात

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

सोमवार, 28 जुलाई 2025 (19:05 IST)
लोकसभा में पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है। चर्चा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप के दावों का खंडन किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान में सीजफायर करवाया। जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाया था और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोई बात नहीं हुई थी। 
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सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, "हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था। सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि 25 अप्रैल से लेकर ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने तक कई फोन कॉल और बातचीत हुईं। मेरे स्तर पर 27 कॉल आईं, प्रधानमंत्री मोदी के स्तर पर लगभग 20 कॉल आईं। समर्थन के लगभग 35-40 पत्र आए, और हमने ऑपरेशन सिंदूर के शुभारंभ के लिए एक कहानी बनाने और कूटनीति तैयार करने का प्रयास किया... संयुक्त राष्ट्र में 193 देश हैं, पाकिस्तान के अलावा केवल 3 देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया। 
 
सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि हम अभी मालदीव से वापस आए हैं। परसों प्रधानमंत्री मोदी उनके स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि थे। यह वही देश है जिसने अपने (कांग्रेस के) समय में एक भारतीय कंपनी को अपना हवाई अड्डा छोड़ने पर मजबूर किया था, उसी देश ने आज भारत को दो नए हवाई अड्डे बनाने के लिए आमंत्रित किया है। सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहाक कि 22 अप्रैल से 17 जून तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।

हमारे लिए चुनौती यह थी कि इस विशेष समय में, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है और हम नहीं... सुरक्षा परिषद में हमारे दो लक्ष्य थे: 1- सुरक्षा परिषद से जवाबदेही की आवश्यकता का समर्थन प्राप्त करना, और 2- इस हमले को अंजाम देने वालों को न्याय के कटघरे में लाना। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि अगर आप 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान को देखें, तो सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। उन्होंने पुष्टि की कि आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, परिषद ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। Edited by : Sudhir Sharma

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