अर्थव्यवस्था को दोहरा झटका, महंगाई 3 माह के उच्च स्तर पर
शुक्रवार, 12 मार्च 2021 (23:14 IST)
नई दिल्ली। पटरी पर आ रही अर्थव्यवस्था को शुक्रवार को दोहरा झटका लगा। एक तरफ औद्योगिक उत्पादन फिर से नकारात्मक दायरे में आ गया और जनवरी में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई, वहीं खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 3 महीने के उच्च स्तर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जनवरी 2021 के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और फरवरी के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के त्वरित अनुमान शुक्रवार को जारी किए। आंकड़े के अनुसार मुख्य रूप से पूंजीगत सामान, विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में गिरावट के कारण साल के पहले महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.6 प्रतिशत घट गया।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 77.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में जनवरी में 2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी माह में इसमें 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आंकड़े के अनुसार, सबसे खराब प्रदर्शन पूंजीगत वस्तु क्षेत्र का रहा। इसमें आलोच्य महीने में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले इसी माह में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
इस बीच, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने दिसंबर 2020 के आंकड़े को संशोधित कर 1.56 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में इसके 1.0 प्रतिशत का अनुमान जताया था। आईआईपी में नवंबर 2020 में गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं सितंबर और अक्टूबर 2020 में इसमें सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
इस बीच, खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी माह में बढ़कर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई। मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। एक माह पहले जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.06 प्रतिशत पर थी। इससे पहले, नवंबर 2020 में यह 6.93 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सीपीआई के खाद्य समूह में फरवरी माह के दौरान मुल्य वृद्धि 3.87 प्रतिशत रही जो कि एक माह पहले 1.89 प्रतिशत पर थी। ईंधन और प्रकाश समूह में मुद्रास्फीति फरवरी माह में 3.53 प्रतिशत पर जनवरी के 3.87 प्रतिशत के मुकाबले मामूली कम रही।
तेल एवं वसा के मामले में खुदरा महंगाई दर आलोच्य महीने में 20.78 प्रतिशत पहुंच गई जो इससे पूर्व जनवरी में 19.71 प्रतिशत थी। फलों की महंगाई दर बढ़कर फरवरी में 6.28 प्रतिशत पहुंच गई जो एक माह पहले जनवरी में 4.96 प्रतिशत थी। सब्जियों के मामले में मुद्रास्फीति में कमी की दर घटी है। आलोच्य माह में इसमें 6.27 प्रतिशत की कमी आई, जबकि जनवरी में इसमें 15.84 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
आंकड़े के अनुसार दूध और उसके उत्पादों, दाल और उसके उत्पादों की महंगाई दर क्रमश: 2.59 प्रतिशत, 12.54 प्रतिशत और 11.13 प्रतिशत रही। एक माह पहले जनवरी में यह क्रमश: 2.73 प्रतिशत, 13.39 प्रतिशत और 12.85 प्रतिशत थी।
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, जनवरी में हमें आईआईपी के आंकड़े कमजोर रहने का अनुमान था, लेकिन इसमें गिरावट आएगी, यह नहीं सोचा गया था। उन्होंने कहा, यह आंकड़ा कहीं से भी संतोषजनक नहीं है। छह उपयोग आधारित श्रेणियों में तीन में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि अन्य तीन में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने कहा कि आईआईपी आंकड़े में दिसंबर में सकारात्मक वृद्धि के बाद जनवरी में गिरावट कुछ हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा, विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट जारी रहने और जनवरी में 2 प्रतिशत की कमी यह बताता है कि हमें अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार से पहले कुछ दूरी अभी तय करनी है।
मुद्रास्फीति के बारे में नायर ने कहा कि उम्मीद के विपरीत फरवरी में महंगाई दर में तीव्र वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुएं, कपड़ा और जूते-चप्पल हैं। उन्होंने कहा, मुख्य मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में बढ़कर तीन माह के उच्च स्तर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले महीने 5.5 प्रतिशत थी। जिंसों के दाम में तेजी तथा मांग में वृद्धि को देखते हुए आने वाले समय में मुद्रास्फीति दबाव बरकरार रह सकता है।
इफको किसान संचार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संदीप मल्होत्रा ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में तेजी का कारण खाद्य वस्तुओं खासकर खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि है जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी प्रवृत्ति के अनुरूप है। उन्होंने कहा, बाजार में पर्याप्त नकदी को देखते हुए ये कीमतें कुछ समय तक ऊंची बनी रह सकती हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछली बैठक में मुद्रास्फीति दबाव का हवाला देते हुए नीतिगत दर को यथावत रखा था। एमपीसी की अगली बैठक 5-7 अप्रैल, 2021 को होगी।(भाषा)