उन्होंने कहा, आज तस्कर जटिल तरीकों और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल तस्करी की वस्तुओं को सीमा पार कराने के लिए कर रहे हैं। जाली नोटों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों का खतरा वैश्विक स्तर पर है और इनका नकारात्मक असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ता है। सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचता है, करदाताओं पर बोझ बढ़ता है, ग्राहकों तक खतरनाक उत्पाद की पहुंच बढ़ती है तथा इससे आतंकवाद तक संबद्ध है।
उन्होंने कहा कि फिक्की कैसकेड (तस्करी और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली जाली नोटों की तस्करी से जुड़ी गतिविधियों के खिलाफ समिति) जैसे थिंक टैंक नए विचारों को लाने, जागरूरकता पैदा करने और तस्करी व जाली नोट की समस्या को रेखांकित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
इस अवसर पर वर्ल्ड कस्टम ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूसीओ) के निदेशक पीके दास ने बताया, यूएनसीटीएटी (संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन) के मुताबिक, तस्करी से विश्व अर्थव्यवस्था को 3 प्रतिशत का नुकसान पहुंचता है, जो करीब 2000 अरब डॉलर है। (File photo)
Edited By : Chetan Gour (भाषा)