ईडी ने एक बयान में कहा कि इसमें एसकेएस इस्पात एंड पॉवर लिमिटेड की जमीन, भवन और मशीन शामिल हैं। इन संपत्तियों को कुर्क करने के लिए अंतरिम आदेश धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत जारी किया गया और इनका कुल मूल्य 517.81 करोड़ रुपए है।
जांच तिरुचिरापल्ली की बॉयलर विनिर्माण कंपनी सेथर लिमिटेड के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन के मामले से जुड़ी है। कंपनी ने मुंबई में इंडियन बैंक की एसएएम (स्ट्रेस्ड एसेट्स मैनेजमेंट) शाखा की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से 895.45 करोड़ रुपए की ऋण सुविधाओं का लाभ उठाया था।
ईडी ने कहा कि सेथर लिमिटेड 31 दिसंबर, 2012 को एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) हो गई और फिर 2017 में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष दिवाला शोधन प्रक्रिया शुरू की गई। इस्पात कंपनी की भूमिका बाद में सामने आई।
ईडी ने कहा कि एसकेएस पॉवर जेनरेशन (छत्तीसगढ़) लिमिटेड के लिए किए जाने वाले लगभग 3,500 करोड़ रुपए के इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण अनुबंध के लिए सेथर लिमिटेड ने शेयरों में निवेश के बहाने अपनी मूल कंपनी एसकेएस इस्पात एंड पॉवर लिमिटेड को 228 करोड़ रुपए गलत तरह से दिए।