विकास दुबे के परिवार और उसके साथियों के खिलाफ मनीलांड्रिंग का मामला दर्ज करेगा ईडी
शनिवार, 11 जुलाई 2020 (23:27 IST)
नई दिल्ली/ लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धनशोधन का एक मामला दर्ज करने वाला है। वह पुलिस मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात अपराधी विकास दुबे, उसके परिवार के सदस्यों तथा उसके साथियों द्वारा अवैध वित्तीय लेनदेन तथा काली कमाई से अर्जित की गई संपत्ति की जांच करेगा। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि लखनऊ स्थित जांच एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय ने छह जुलाई को इस संबंध में कानपुर पुलिस को पत्र लिखकर दुबे (47) और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकियां एवं अदालत में दायर किए गए आरोप पत्र तथा इन सभी मामलों की ताजा जानकारी मांगी है।
कानपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि कानपुर क्षेत्र के महानिरीक्षक (आईजी) मोहित अग्रवाल को ईडी का पत्र मिला है। अधिकारियों ने कहा कि ईडी जल्द ही धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक एक शिकायत दर्ज कर यह जांच करेगा कि क्या दुबे, उसके परिवार के सदस्यों और उसके साथियों ने आपराधिक गतिविधियों से अर्जित किए गए धन का इस्तेमाल अवैध चल-अचल संपत्ति बनाने में किया था।
यह आरोप है कि दुबे ने अपनी आपराधिक गतिविधियों से अपने और अपने परिवार के नाम पर काफी संपत्ति बनाई। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उससे लगे कुछ इलाकों में दुबे और उसके परिवार से जुड़ी दो दर्जन से अधिक नामी और 'बेनामी' संपत्तियां, बैंक में जमा राशि और सावधि जमा पर केंद्रीय जांच एजेंसी की नजर है।
अधिकारियों ने कहा कि कुछ पुलिस प्राथमिकी साझा की जा चुकी हैं जबकि एजेंसी कुछ और जानकारी हासिल करने में जुटी हुई है। कानपुर पुलिस के अधिकारी के मुताबिक ईडी ने अपने पत्र में कहा है, यह पता चला है कि विकास दुबे, कुख्यात अपराधी एवं कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के नरसंहार में शामिल, कई साल से कई सारे आपराधिक मामलों में संलिप्त रहा है और उसने आपराधिक गतिविधियों के जरिए अपने और अपने परिवार के तथा साथियों के नाम पर संपत्ति बनाई है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने दुबे, उसके परिवार और करीबी साथियों के खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी (दीवानी या फौजदारी) की सूची भी मांगी है। यह दुबे के जरिए इन संपत्ति में निवेश करने वालों के बारे में सूचना भी जुटा रही है।
अधिकारियों के मुताबिक ईडी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों से दुबे और अन्य लोगों की संभावित गुप्त विदेशी संपत्ति के बारे में विवरण भी मांग रहा है, इसके अलावा विभिन्न बैंकों से खातों का विवरण भी मांगा जा रहा है।उन्होंने कहा कि भले ही दुबे की मौत हो गई हो, लेकिन पीएमएलए के तहत एजेंसी को धनशोधन अपराधों और इन आपराधिक गतिविधियों से अर्जित की गई संपत्तियों को लेकर मुख्य अपराधी के साथियों के खिलाफ जांच की अनुमति है।
अधिकारियों ने कहा कि पीएमएलए कानून की धारा 72 में मृत्यु या दिवालिएपन की स्थिति में भी कार्यवाही जारी रखने का प्रावधान है। अधिकारियों का कहना है कि दुबे के खिलाफ पुलिस में लगभग 60 प्राथमिकियां दर्ज हैं, जिसमें तीन जुलाई की मध्यरात्रि कानपुर जिले के चौबेपुर थाना अंतर्गत बिकरू गांव में उसके घर पर हमले में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के संबंध में दर्ज प्राथिमिकी भी शामिल है।
पुलिस का एक दल दुबे को आपराधिक मामले में गिरफ्तार करने गया था। इस दौरान दुबे और उसके साथियों ने छत पर से उन पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की थी। उत्तरप्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने शुक्रवार को दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था।
शहीद सिपाही जितेंद्र के पिता बोले, अब गद्दारों को भी दंडित करे सरकार : उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर के बिकरू गांव में सीओ सहित जिन आठ पुलिसकर्मियों की हत्या हुई थी उनमें से एक सिपाही जितेंद्र के पिता ने मुख्य आरोपी विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि अब उन गद्दार पुलिसकर्मियों, राजनेताओं आदि की भी पहचान कर उन्हें दंडित करे जो अब तक उसकी मदद करते आए हैं।
उल्लेखनीय है कि दो जून की रात कानपुर के बिकरू गांव में कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला किया गया था जिसमें उपाधीक्षक सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी जिनमें मथुरा के रहने वाले सिपाही जितेंद्र पाल सिंह भी शामिल थे। वे दो वर्ष पूर्व ही पुलिस में भर्ती हुए थे।
शहीद जितेंद्र पाल के पिता तीर्थराज सिंह ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस को धन्यवाद देना चाहते हैं कि विकास दुबे जैसे अपराधी को मार गिराया। मुझे उत्तर प्रदेश पुलिस पर गर्व है। उन्होंने कहा कि विकास दुबे के मारे जाने से उन पुलिसकर्मियों की आत्मा को शांति मिली है जिनकी हत्या बिकरू गांव में हुई थी।
तीर्थराज सिंह ने कहा अब उन लोगों को ढूंढना चाहिए, जिन्होंने पुलिस के साथ ‘गद्दारी’ की थी। उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि उन्हीं लोगों की वजह से विकास दुबे इतने वर्षों से आम जनता से लेकर राजनेताओं तक पर भारी पड़ रहा था।
यहां तक कि उसने एक मंत्री तक की जान लेने में हिचकिचाहट नहीं की और जब पुलिस ने उसे पकड़ने का साहस किया तो इन ‘गद्दारों’ के बूते इतने पुलिसकर्मियों की जान लेने में भी देर नहीं लगाई। तीर्थराज सिंह ने कहा ऐसे लोग चाहे पुलिस में हों अथवा राजनीति में, उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।(भाषा)