Tejashwi Yadav News : निर्वाचन आयोग ने रविवार को राजद नेता तेजस्वी यादव से उस मतदाता पहचान पत्र को जांच के लिए सौंपने को कहा, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि वह उनके पास है, जबकि वह आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया था। विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी ने कहा, हमारी प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि 2 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपने जिस ईपीआईसी नंबर का ज़िक्र किया था, वह आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया था। इसलिए आपसे अनुरोध है कि विस्तृत जांच के लिए ईपीआईसी कार्ड की मूल प्रति हमें सौंप दें।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने शनिवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटर पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर के साथ एक ऑनलाइन सर्च का प्रदर्शन किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उनका नाम विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के हिस्से के रूप में प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में गायब है और संबंधित अधिकारियों द्वारा खंडन किए जाने पर उन्होंने आरोप लगाया कि उनका मतदाता पहचान पत्र नंबर बदला हुआ था।
पूर्व उपमुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र में पटना सदर के अनुविभागीय मजिस्ट्रेट सह दीघा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी ने कहा, हमारी प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि 2 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपने जिस ईपीआईसी नंबर का ज़िक्र किया था, वह आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया था। इसलिए आपसे अनुरोध है कि विस्तृत जांच के लिए ईपीआईसी कार्ड की मूल प्रति हमें सौंप दें।
मसौदा मतदाता सूची को लेकर चुनाव आयोग ने क्या कहा : निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि बिहार में किसी भी राजनीतिक दल ने एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने के लिए अब तक उससे संपर्क नहीं किया है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि एक अगस्त को अपराह्न तीन बजे से तीन अगस्त (रविवार) को अपराह्न तीन बजे तक दावे और आपत्तियों के तहत कोई मांग प्राप्त नहीं हुई है।
हालांकि व्यक्तिगत रूप से, मतदाताओं से मतदाता सूची में नाम शामिल करने या अपात्र लोगों के नाम हटाने के लिए 941 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। राजनीतिक दलों और मतदाताओं के पास मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने की मांग करने के लिए एक सितंबर तक एक महीने का समय है।
बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया के कारण करोड़ों पात्र लोगों को दस्तावेजों के अभाव में मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा। निर्वाचन आयोग का कहना है कि वह यह सुनिश्चित कर रहा है कि 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची से कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित नहीं रहे। (इनपुट भाषा)
Edited By : Chetan Gour