नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने 5,000 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी धनशोधन के मामले में गुजरात की दवा बनाने वाली कंपनी 'स्टर्लिंग बायोटेक ग्रुप' की 4,701 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त
की है। जांच एजेंसी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अस्थायी कुर्की का आदेश जारी किया था और इसके तहत वडोदरा स्थित समूह की करीब 4,000 एकड़ में फैली अचल संपत्ति, संयंत्र, मशीनरी, विभिन्न कंपनियों एवं प्रवर्तकों से संबद्ध करीब 200 बैंक खाते, 6.67 करोड़ रुपए की कीमत के शेयर और कई कीमती कारें जब्त कीं। पीएमएलए के तहत इस साल ईडी की ओर से संपत्तियों की जब्ती की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है।
एक अधिकारी ने बताया कि कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर संज्ञान लेते हुए निदेशालय ने पिछले साल अक्टूबर में कंपनी एवं इसके प्रवर्तकों नितिन और चेतन संदेसारा के खिलाफ धनशोधन का आपराधिक मामला दर्ज किया था। इसके बाद उसने देश में विभिन्न स्थानों पर करीब 50 छापेमारी की।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि कंपनी एवं इसके फरार प्रवर्तकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विभिन्न बैंकों से करीब 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हासिल किया था, जो बाद में एनपीए में तब्दील हो गया। निदेशालय ने बताया कि यह कर्ज आंध्रा बैंक, यूको बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों से लिया गया था।
उसने बताया कि जब तक बैंक इसे फर्जीवाड़ा घोषित करते, तब तक इसके प्रवर्तक स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड, स्टर्लिंग पोर्ट लिमिटेड, पीएमटी मशीन्स लिमिटेड, स्टर्लिंग एसईजेड और इन्फ्रास्टक्चर लिमिटेड एवं स्टर्लिंग ऑइल रिसोर्सेस लिमिटेड सहित स्टर्लिंग ग्रुप की विभिन्न कंपनियों के मद में 5,000 करोड़ से अधिक रुपए का कर्ज हासिल कर चुके थे।
जांच एजेंसी ने मामले में अब तक 3 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें दिल्ली स्थित कारोबारी गगन धवन, आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग और स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड के निदेशक राजभूषण दीक्षित शामिल हैं। यहां पीएमएलए की विशेष अदालत में अभियोजन ने कई शिकायतें या आरोपपत्र भी दायर किए हैं। (भाषा)