EPFO ने कोविड-19 से जुड़े 52 लाख दावे निपटाए, 13,300 करोड़ रुपए वितरित किए

बुधवार, 16 दिसंबर 2020 (19:45 IST)
नई दिल्ली। सेवानिवृत्ति कोष का संचालन करने वाली संस्था ईपीएफओ ने कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान भविष्य निधि खातों से धन निकालने के 52 लाख मामलों का निपटारा किया। इसके तहत 13,300 करोड़ रुपए की राशि आवेदकों को जारी की गई। यह राशि बिना वापसी के अग्रिम दावे के तौर पर जारी की गई। श्रममंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार को यह जानकारी दी।
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सरकार ने इस साल मार्च में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़े 6 करोड़ से अधिक अंशधारकों को उनके भविष्य निधि खाते से महंगाई भत्ते सहित अधिकतम 3 माह का मूल वेतन निकालने की अनुमति दे दी थी। महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन को देखते हुए भविष्य निधि अंशधारकों को यह सुविधा दी गई।
 
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के स्थापना सप्ताह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गंगवार ने कहा कि महामारी के दौरान ईपीएफओ ने 52 लाख कोविड-19 निकासी दावों का निपटान किया और आवेदकों को 13,300 करोड़ रुपए जारी किए। गंगवार ने कहा कि देश ने पूरी बहादुरी के साथ महामारी का मुकाबला किया है।
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केंद्र सरकार ने महामारी के दौरान समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को सहारा देने के लिए 26 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाय) की भी शुरुआत की। सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से निकासी का प्रावधान भी किया और इस संबंध में एक आवश्यक अधिसूचना जारी की गई। इसके तहत ईपीएफधारकों को उनके खाते से महंगाई भत्ता सहित 3 माह के मूल वेतन के बराबर अथवा कर्मचारी के खाते में उपलब्ध भविष्य निधि का 75 प्रतिशत तक जो भी कम होगा, उसकी बिना वापसी सुविधा के निकासी का प्रावधान किया गया।
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श्रम कानूनों के क्रियान्वयन के मामले में उन्होंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से कहा कि वह 3 श्रम संहिताओं को अमल में लाने के लिए तैयार किए गए मसौदा नियमों पर अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव सरकार को भेजें। सरकार ने औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सुरक्षा एवं कामकाज परिस्थितियों को लेकर नए श्रम कानून बनाए हैं।
 
सरकार ने इन कानूनों को अमल में लाने के लिए नियमों का मसौदा जारी किया है और संबद्ध पक्षों से उनके सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी है। ये कानून संसद के मानसून सत्र में पारित किए गए थे। इससे पहले श्रम संहिता को 2019 में पारित कर दिया गया था। इसके नियम पहले ही तैयार हो चुके हैं। सरकार का इरादा सभी चारों कानूनों को 1 अप्रैल 2021 से एकसाथ लागू करने का है। (भाषा)

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