इससे पहले उम्मीद की जा रही थी कि ईपीएफओ अगले साल के लिए भी 8.8% ब्याज दर बरकरार रखेगा। हालांकि, ऐसा करने पर संस्था को 383 करोड़ रुपये का घाटा होता। शायद यही वजह है कि संस्था ने ब्याज दर में कटौती का फैसला लिया। इसी साल वित्त मंत्रालय ने पीएफ इंट्रेस्ट रेट में 0.1% की कटौती की घोषणा की थी। बाद में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में ईपीएफओ के ट्रस्टियों की मीटिंग में भी वित्त मंत्रालय के फैसले पर मुहर गई और मौजूदा वित्त वर्ष (2015-16) के लिए पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर घटकर 8.7% हो गई। लेकिन, ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद ब्याज दर में कटौती के फैसले को वापस ले लिया गया और फिर से 8.8% की ब्याज दर ही लागू हो गई।