दरअसल, विधानसभा ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में मोहन को गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद उन्हें सम्मन भेजे गए।
मोहन, फेसबुक इंडिया ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और फेसबुक इंक की याचिका पर यह निर्णय लिया गया है। याचिका में कहा गया था कि समिति के पास यह शक्ति नहीं है कि वह अपने विशेषाधिकारों का उल्लंघन होने पर याचिकाकर्ताओं को तलब करे। यह उसकी संवैधानिक सीमाओं से बाहर है।