Imran Pratapgarhi Case : उच्चतम न्यायालय ने भड़काऊ गीत वाला एक संपादित वीडियो साझा करने के आरोप में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को शुक्रवार को खारिज करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य है। कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है।
पीठ ने कहा, भले ही बड़ी संख्या में लोग किसी के द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को नापसंद करते हों लेकिन व्यक्ति के विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए। कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं।
कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। जामनगर शहर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह की पृष्ठभूमि में भड़काऊ गीत सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए प्रतापगढ़ी के खिलाफ तीन जनवरी को मामला दर्ज किया गया था।
प्रतापगढ़ी पर धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में दिखाया गया है कि जब प्रतापगढ़ी अपने हाथ लहराते हुए चल रहे हैं तो उन पर फूल बरसाए जा रहे हैं और पृष्ठभूमि में एक गाना सुनाई दे रहा है।
इस गाने के बारे में प्राथमिकी में कहा गया है कि इसमें ऐसे बोल का इस्तेमाल किया गया जो भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक हैं और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour