न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की, जिसने संरक्षित ताज ट्रेपेज़ियम जोन में 454 पेड़ काट डाले थे। पीठ ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी जघन्य है।
कोर्ट ने CED की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें शिवशंकर अग्रवाल नामक व्यक्ति द्वारा मथुरा-वृंदावन में डालमिया फार्म में 454 पेड़ काटने के लिए प्रति पेड़ एक लाख रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी।
अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है लेकिन अदालत ने जुर्माना राशि कम करने से इनकार कर दिया। इसने कहा कि अग्रवाल को निकटवर्ती स्थल पर पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए तथा उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निपटारा अनुपालन के बाद ही किया जाएगा।