उन्होंने यहां ‘रायसीना डायलॉग’ को संबोधित करते हुए अमेरिका-ईरान के बीच चल रहे तनाव का जिक्र किया और कहा कि वे दो विशिष्ट देश हैं तथा अंतत: जो कुछ भी होगा वह इसमें शामिल पक्षों पर निर्भर करेगा। चीन के साथ संबंधों पर विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देशों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि न तो भारत, ना ही चीन भारत-चीन संबंधों को गलत दिशा में ले जा सकता है। हमारा संबंध अनूठा है। दुनिया में हर देश साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह जरूरी है कि दोनों देश के बीच संतुलन हो। उन्होंने कहा कि भारत अपनी अतीत की छवि से जकड़ा हुआ है और उसे अवश्य ही इससे बाहर निकलना होगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां भारत और अमेरिका साथ काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि दुनिया की एक जैसी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक साझा चुनौती है। अलगाववाद एक साझा चुनौती है। प्रवास एक साझा चुनौती है। दुनिया को खुद से पूछना होगा कि वे इन चुनौतियों से कैसे निपटेंगे।
मंगलवार से शुरू हुए इस 3 दिवसीय सम्मेलन में 12 विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। इनमें रूस, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, एस्तोनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, लातविया, उज्बेकिस्तान और ईयू के विदेश मंत्री शामिल हैं।