उन्होंने कहा कि यह कानून नया नहीं, बल्कि पुराना है और इससे पहले कांग्रेस शासनकाल में 1948, 1950, 1951 और 1955 में संशोधन किया गया था। यह सवाल किए जाने पर कि क्या सरकार राजद्रोह कानून में संशोधन पर विचार करेगी, उन्होंने कहा, हम एक बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं।
इस पर रेड्डी ने कहा कि जिन 96 मामलों का जिक्र किया गया है, उन सभी मामलों में अदालत का फैसला नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कई मामले विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामले जांच के चरण में हैं तो कुछ मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है वहीं कुछ में सुनवाई चल रही है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने आंकड़ों में राजद्रोह के मामले शामिल करने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार में राजद्रोह कानून के आंकड़े छिपाए जाते थे। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र और प्रेस की आजादी के लिए प्रतिबद्ध है और कोई भी व्यक्ति संविधान के तहत बोल सकता है तथा सरकार इसमें कोई रुकावट नहीं पैदा करती।(भाषा)